Israel को कभी नहीं होगी बम की कमी, ट्रंप ने हटाई रोक; ग्रीनलैंड पर भी अमेरिका की नजर
डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायल पर बमों की आपूर्ति को लेकर लगी रोक हटा दी है। यह रोक तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने लगाई थी। बाइडन और ट्रंप दोनों ही इजरायल समर्थक हैं लेकिन गाजा में हुए घटनाक्रम के बाद बाइडन ने रोक लगाने का फैसला किया था। वहीं अब डोनाल्ड ट्रंप की नजर ग्रीनलैंड पर भी पड़ गई है। वह किसी भी तरह ग्रीनलैंड पर कब्जा करना चाहते हैं।
रॉयटर्स, वाशिंगटन। व्हाइट हाउस के एक सूत्र ने बताया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिकी सेना को पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा इजरायल को 2000 पाउंड बमों की आपूर्ति पर लगाई गई रोक को हटाने का निर्देश दिया है।
ट्रंप द्वारा ये कदम उठाए जाने की अपेक्षा भी की जा रही थी। फ़िलिस्तीनी से इजरायल के युद्ध के दौरान, विशेष रूप से गाजा के राफा में, नागरिक आबादी पर उनके प्रभाव की चिंता के कारण बाइडन ने उन बमों की डिलीवरी पर रोक लगा दी थी।
इजरायल समर्थक हैं ट्रंप और बाइडन
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया एप ट्रूथ सोशल पर लिखा, 'बहुत सी चीज़ जो इजरायल द्वारा ऑर्डर की गई थीं और भुगतान किया गया था, लेकिन बाइडन द्वारा नहीं भेजा गया था, अब रास्ते में हैं!'
ट्रम्प और बाइडन इजरायल के प्रबल समर्थक रहे हैं। यहां तक कि अमेरिका फिलिस्तीनी आतंकवादी समूह हमास के खिलाफ इज़राइल के सैन्य हमले से गाजा में मानवीय संकट पर मानवाधिकार की बात करने वालों की आलोचना का शिकार हुआ है।
यु्द्धविराम के बाद छोड़े गए बंधक
- एक सप्ताह पहले युद्धविराम लागू हुआ और इजरायल द्वारा रखे गए फ़िलिस्तीनी कैदियों के बदले में हमास द्वारा गाजा में रखे गए कुछ इज़रायली बंधकों को रिहा कर दिया गया। 20 जनवरी को अपने शपथ ग्रहण से पहले ट्रम्प ने चेतावनी दी थी कि अगर गाजा में हमास द्वारा बंधक बनाए गए लोगों को रिहा नहीं किया गया तो इसकी कीमत नर्क में चुकानी पड़ेगी।
- इजरायली आंकड़ों के अनुसार, 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर हमले के दौरान हमास ने लगभग 250 लोगों को बंधक बना लिया था। गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, गाजा पर इजरायल के बाद के सैन्य हमले में 47,000 से अधिक लोग मारे गए।
- अमेरिका का कहना है कि वह गाजा में हमास, लेबनान में हिजबुल्लाह और यमन में हूती जैसे ईरान समर्थित आतंकवादी समूहों से बचाव में इजरायल की मदद कर रहा है।
ग्रीनलैंड पर ट्रंप की नजर
वहीं संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा ग्रीनलैंड को खरीदने की धारणा महीनों से चर्चा का विषय रही है, लेकिन हाल के घटनाक्रम से पता चलता है कि राष्ट्रपति ट्रम्प का प्रशासन इस प्रस्ताव के बारे में अधिक गंभीर है।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और डेनमार्क के प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसन के बीच एक फोन कॉल ने ग्रीनलैंड के भविष्य पर बहस को फिर से शुरू कर दिया है। ग्रीनलैंड पर कब्जा करने पर ट्रम्प के रुख ने डेनमार्क और ग्रीनलैंड में कई लोगों को परेशान कर दिया है।
बेहद खास है ग्रीनलैंड
ग्रीनलैंड में ट्रम्प की रुचि की भी एक खास वजह है। यह द्वीप टेक्नोलॉजी और डिफेंस के लिए महत्वपूर्ण खनिजों से समृद्ध है, जिसमें मोबाइल फोन, इलेक्ट्रिक वाहन और हथियारों में उपयोग किए जाने वाले दुर्लभ अर्थ एलिमेंट भी शामिल हैं।
ट्रंप अपने पहले कार्यकाल से ही 56,000 लोगों की आबादी वाले इस द्वीप पर कब्जा करना चाहते हैं। यूरोप और उत्तरी अमेरिका के बीच सबसे छोटे रूट पर स्थित ग्रीनलैंड का स्थान, इसे अमेरिकी सेना और इसकी बैलिस्टिक मिसाइल अर्ली-वार्निंग सिस्टम के लिए महत्वपूर्ण बनाता है।
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