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    अमेरिका ने भारत के लिए यूएनएससी में स्थायी सीट को लेकर समर्थन दोहराया, कहा- सुरक्षा परिषद को विश्वसनीय बनाए रखने जरूरी

    By Amit SinghEdited By:
    Updated: Thu, 22 Sep 2022 04:30 AM (IST)

    बाइडन ने कहा कि उनका देश वाशिंगटन के विभिन्न प्रशासनों के माध्यम से लंबे समय से भारत के लिए स्थायी सीट को समर्थन व्यक्त करता आया है। वो जापान और जर्मनी के लिए भी स्थायी सीट का समर्थन करते हैं।

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    यूएनएससी में भारत को सीट के लिए अमेरिका का समर्थन

    संयुक्त राष्ट्र, आइएएनएस: राष्ट्रपति जो बाइडन ने बुधवार को सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सीट देने के लिए अमेरिका की प्रतिबद्धता दोहराई ताकि परिषद की विश्वसनीयता सुनिश्चित हो सके। महासभा की उच्च स्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिका परिषद में स्थायी और गैर-स्थायी दोनों प्रतिनिधियों की संख्या बढ़ाने का समर्थन करता है। इसमें उन राष्ट्रों के लिए स्थायी सीटें शामिल हैं जिनका हमने लंबे समय से समर्थन किया है। उन्होंने घोषणा की कि अमेरिका इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए प्रतिबद्ध है।

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    अमेरिका ने हमेशा किया भारत के लिए स्थायी सीट को समर्थन 

    बाइडन ने कहा कि उनका देश वाशिंगटन के विभिन्न प्रशासनों के माध्यम से लंबे समय से भारत के लिए स्थायी सीट को समर्थन व्यक्त करता आया है। वो जापान और जर्मनी के लिए भी स्थायी सीट का समर्थन करता है। बाइडन ने कहा कि मेरा यह भी मानना है कि इस संस्थान के अधिक समावेशी बनने का समय आ गया है, ताकि यह आज की दुनिया की जरूरतों का बेहतर जवाब दे सके। उन्होंने कहा कि अमेरिका अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और कैरेबियन देशों के लिए स्थायी सीटों का समर्थन करता है ताकि परिषद विश्वसनीय और प्रभावी बनी रहे।

    बाइडन ने क्वाड की भूमिका का भी किया उल्लेख

    बाइडन ने कहा अमेरिका परिषद के स्थायी और गैर-स्थायी दोनों प्रतिनिधियों की संख्या बढ़ाने का भी समर्थन करता है। स्थायी सीट के लिए अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और कैरिबियन देशों से कोई स्पष्ट नाम सामने नहीं आया है। हालांकि ब्राजील ने दक्षिण अमेरिका के सबसे बड़े देश ने अपनी दावेदारी पेश की है। बाइडन ने भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया से बने क्वाड की भूमिका का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि हम हर क्षेत्र में, हमने साझा हितों को आगे बढ़ाने के लिए भागीदारों के साथ काम करने के लिए नए रचनात्मक तरीके अपना रहे हैं। इस दौरान क्वाड देशों और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को और अधिक महत्व देने की भी बात कही।