अमेरिकी बॉन्ड मार्केट में गिरावट, आर्थिक संकट की आशंका... तो इसलिए ट्रंप ने 90 दिन के लिए रोक दिया टैरिफ?
ट्रंप के चीफ ऑफ स्टाफ सूसी वाइल्स उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और ट्रेजरी सचिव स्काट बेसेंट को लगातार व्यापारिक संगठनों और उद्योगपतियों के फोन आ रहे थे। ये सभी राष्ट्रपति से अपील कर रहे थे कि वे टैरिफ नीति पर पुनर्विचार करें। बताया जा रहा है कि वाइल्स ने ट्रंप को यह समझाने में बड़ी भूमिका निभाई कि बाजार की गिरावट से उनका राजनीतिक नुकसान हो रहा है।

जेएनएन, नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ नीति पर बड़ा यू-टर्न लेते हुए बुधवार को 75 देशों के लिए पारस्परिक टैरिफ पर 90 दिन तक रोक लगा दी है। हालांकि उन्होंने चीन पर टैरिफ बढ़ा कर 125 प्रतिशत कर दिया है। आइये जानते हैं ट्रंप ने यह फैसला क्यों किया?
बांड मार्केट में तेज गिरावट विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी बांड बाजार में मची हलचल ने डोनाल्ड ट्रंप को टैरिफ पर अपने कदम पीछे खींचने पर मजबूर कर दिया। बांड बाजार में आई तेज गिरावट और आर्थिक संकट की आशंका से अमेरिकी प्रशासन में खलबली मच गई। कारोबारी जगत की तीखी प्रतिक्रिया और ट्रंप समर्थकों द्वारा ही राष्ट्रपति पर हमला बोलने से वे चौतरफा घिर गए और उन्हें टैरिफ को 90 दिनों के लिए रोकने का एलान करना पड़ा।
क्या होते हैं सरकारी बांड?
- सरकारी बांड एक डेट इंस्ट्रूमेंट है। संप्रभु सरकारें सार्वजनिक खर्च के लिए वित्तीय बाजारों से पैसा जुटाने के लिए इसे जारी करती हैं। बांड के बदले में सरकारें ब्याज का भुगतान करती हैं। विदेशी हाथों में है ज्यादातर अमेरिकी बांड अमेरिका के करीब 35 ट्रिलियन डॉलर मूल्य के बांड बाजार में हैं। इसका ज्यादातर हिस्सा विदेशी हाथों, खास कर चीन के पास है।
- अमेरिका में सामान्य तौर पर बांड की ब्याज दरों या यील्ड में उछाल नहीं देखा जाता है क्योंकि उसके बांड को सबसे सुरक्षित निवेश में से एक माना जाता है। हालांकि बुधवार को अमेरिका के सरकारी बांडों पर ब्याज दरें तेजी से बढ़ कर 4.5 प्रतिशत हो गईं। कुछ दिन पहले तक ब्याज दरें 3.9 प्रतिशत थीं। फरवरी के बाद से बांड की ब्याज दरों का यह उच्चतम स्तर है।
- अमेरिकी बांडों की बड़े पैमाने पर बिक्री से उसकी अर्थव्यवस्था के लिए समस्याएं पैदा हो सकती हैं। अमेरिका के लिए पैसा जुटाना महंगा हो सकता है। अगर अमेरिका की सरकार बांड नहीं बेच पाती है तो उसके लिए अपने सामाजिक सुरक्षा और मेडिकएड जैसे कार्यक्रमों का खर्च उठाना संभव नहीं हो पाएगा।
ट्रंप के करीबी भी बना रहे थे दबाव
सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप के करीबी कारोबारी मित्रों, रिपब्लिकन नेताओं और व्हाइट हाउस सलाहकारों ने भी उन्हें लगातार समझाने की कोशिश की कि टैरिफ नीति से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान हो सकता है। इसके बावजूद ट्रंप अंतिम समय तक इंटरनेट मीडिया पर टैरिफ के समर्थन में पोस्ट करते रहे।
यहां तक कि जब ट्रंप के व्यापार प्रतिनिधि जैमीसन ग्रीयर कांग्रेस में टैरिफ के फायदे गिना रहे थे, तभी ट्रंप ने इंटरनेट मीडिया पर तीन महीने की रोक की घोषणा कर दी। इसका मतलब यह निकाला जा रहा है कि ग्रीयर को भी टैरिफ पर रोक लगाने के बारे में पहले नहीं बताया गया था।
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