डोनाल्ड ट्रंप का बड़ा फैसला, विदेशी रिश्वतखोरी कानून पर लगाई रोक; अदाणी ग्रुप के शेयर उछले
अमेरिका में आधी सदी पुराने विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रोक लगा दी है। ये फैसला अदाणी ग्रुप के लिए भी राहत की खबर लेकर आया है। दरअसल अदाणी समूह के खिलाफ रिश्वतखोरी की जांच इसी कानून के तहत शुरू की गई थी। उधर अमेरिका के 6 सांसदों ने भी अटॉर्नी जनरल को पत्र लिखकर चिंता जताई है।

पीटीआई, वाशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विदेशी रिश्वतखोरी कानून पर रोक लगा दी है। उनके इस कदम से अदाणी ग्रुप को राहत मिल सकती है। उन्होंने सोमवार को करीब आधी सदी पुराने विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (एफसीपीए) के क्रियान्वयन पर रोक लगाने के लिए एक कार्यकारी आदेश पर किए।
इसमें न्याय मंत्रालय को इस कानून पर रोक लगाने और इसकी समीक्षा करने का निर्देश दिया गया है। अदाणी समूह के खिलाफ रिश्वतखोरी की जांच इसी कानून के तहत शुरू की गई थी। ट्रंप के आदेश के बाद अदाणी समूह के शेयरों में उछाल देखने को मिला।
सांसदों ने लिखा पत्र
इस बीच, अमेरिका के छह सांसदों ने अटॉर्नी जनरल को न्याय मंत्रालय द्वारा लिए गए संदिग्ध फैसलों के खिलाफ पत्र लिखा है। इनमें उद्योगपति अदाणी के खिलाफ अभियोग का मामला भी शामिल है।
सांसदों ने पत्र में आशंका जताई है कि इससे करीबी सहयोगी भारत के साथ संबंध खतरे में पड़ सकता है। 1977 में तत्कालीन राष्ट्रपति जिमी कार्टर के कार्यकाल के दौरान बने एफसीपीए अमेरिकी कंपनियों और विदेशी कंपनियों को व्यापार करने के लिए विदेशी सरकारों के अधिकारियों को रिश्वत देने से रोकता है।
नीतियों की समीक्षा करने के आदेश
- ट्रंप ने अटॉर्नी जनरल पामेला बोंडी को 180 दिन में एफसीपीए के अंतर्गत जांच और प्रवर्तन कार्रवाइयों को नियंत्रित करने वाले दिशा-निर्देशों और नीतियों की समीक्षा करने को कहा गया है। इसी कानून के तहत अमेरिकी न्याय मंत्रालय भारतीय उद्योगपति एवं अदाणी समूह के प्रमुख गौतम अदाणी और उनके भतीजे सागर समेत कुछ चर्चित मामलों की जांच कर रहा है।
- पिछले वर्ष तत्कालीन राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन के तहत न्याय मंत्रालय ने अदाणी पर सौर ऊर्जा ठेकों के लिए अनुकूल शर्तों के बदले भारतीय अधिकारियों को करीब 2,100 करोड़ रुपये की रिश्वत देने की योजना का कथित रूप से हिस्सा होने का आरोप लगाया था।
न्याय मंत्रालय पर रहेगी नजर
हालांकि अदाणी समूह ने सभी आरोपों को खारिज किया है। एफसीपीए पर रोक के आदेश को अदाणी समूह के लिए राहत के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि यह देखना होगा कि छह महीने की समीक्षा अवधि के बाद न्याय मंत्रालय क्या रुख अपनाता है।
इधर, अमेरिका के छह सांसदों लांस गुडेन, पैट फालन, माइक हरिडोपोलोस, ब्रैंडन गिल, विलियम आर टिम्मोंस और ब्रायन बेबिन ने 10 फरवरी को अटॉर्नी जनरल पामेला बोंडी को पत्र लिखा। इसमें बाइडन प्रशासन के दौरान न्याय विभाग द्वारा लिए गए कुछ कथित संदिग्ध निर्णयों की ओर ध्यान आकर्षित कराया गया।
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