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    अमेरिका ने भारत की 4 कंपनियों पर लगाया प्रतिबंध, आखिर क्या है ईरान से है कनेक्शन?

    By Agency Edited By: Piyush Kumar
    Updated: Tue, 25 Feb 2025 07:54 AM (IST)

    अमेरिका ने भारत समेत ईरान की 16 कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया गया है। अमेरिकी वित्त मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार प्रतिबंधित भारतीय कंपनियों में आस ...और पढ़ें

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    मेरिका ने सोमवार को भारत की चार कंपनियां समेत ईरान की 16 कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया।(फोटो सोर्स: रॉयटर्स)

    पीटीआई, वॉशिंगटन। अमेरिका ने सोमवार को भारत की चार कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया है। अमेरिका की इस ताजा कार्रवाई में भारत समेत ईरान की 16 कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया गया है। भारतीय कंपनियों पर पाबंदी की वजह ईरान के तेल एवं पेट्रोकेमिकल उद्योग में इनकी कथित संलिप्तता है।

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    ईरान पर दबाव डालने की कोशिश में जुटा अमेरिका 

    अमेरिकी वित्त मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार प्रतिबंधित भारतीय कंपनियों में आस्टिनशिप मैनेजमेंट प्रा. लि, बीएसएम मरीन एलएलपी, कासमोस लाइंस इंक और फ्लक्स मैरीटाइम एलएलपी शामिल हैं।

    बीते चार फरवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा ज्ञापन जारी किए जाने के बाद ईरानी तेल बिक्री को निशाना बनाने वाला यह प्रतिबंधों का दूसरा दौर है। अमेरिका के प्रतिबंधों की वजह ईरान पर अधिकतम दबाब डालना है।

    क्यों ईरान की कंपनियों पर नकेल कस रहा अमेरिका? 

    बयान में बताया गया है कि अमेरिका ईरान के तेल और पेट्रोकेमिकल उद्योग से जुड़ाव के लिए 16 कंपनियों और जहाजों को प्रतिबंधित कर रहा है। यह अवैध शिपिंग नेटवर्क एशिया में खरीदारों को ईरानी तेल लोड करने और इसका परिवहन करने में अपनी भूमिका छिपाकर धोखा दे रहा था। अमेरिका ईरान की आतंकी गतिविधियों को वित्तपोषित करने के लिए तेल राजस्व जुटाने की कोशिशों को रोकेगा और इस तरह की कार्रवाई जारी रखेगा।

    यूके ने लगाया भारतीय कंपनी पर प्रतिबंध

    यूनाइटेड किंगडम ने सोमवार को यूक्रेन के खिलाफ युद्ध के तीन साल पूरे होने पर रूस के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा प्रतिबंध लगाया है। इसमें मास्को को सैन्य आपूर्ति करने के लिए भारतीय कंपनी इनसिया इम्पेक्स प्रा. लिमिटेड पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।

    इसके तहत मशीन उपकरण, हथियारों में इस्तेमाल किए जाने वाले माइक्रोप्रोसेसर समेत रूसी सेना के लिए इलेक्ट्रानिक और दोतरफा प्रयोग वाले सामानों के निर्माताओं और आपूर्तिकर्ताओं को निशाना बनाया गया है। इनमें तुर्किये, थाइलैंड, भारत और चीन शामिल हैं।

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