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    सच निकला ट्रंप का दावा! अमेरिका ने तीनों परमाणु ठिकानों को किया धुआं-धुआं, सैटेलाइट इमेज में दिखा तबाही का मंजर

    इजरायल ने 13 जून को ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया, जिसके बाद 22 जून को अमेरिका ने भी ईरान के नतांज, इस्फहान और फोर्डो स्थित महत्वपूर्ण परमाणु संयंत्रों पर B-2 बॉम्बर से शक्तिशाली GBU-57 बम बरसाए। इन हमलों से ईरान के परमाणु ठिकानों को भारी नुकसान पहुंचा, खासकर फोर्डो संयंत्र पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया।   अमेरिका ने दावा किया कि इन हमलों से ईरान का परमाणु हथियार बनाने का सपना चकनाचूर हो गया है, हालांकि ईरान ने पूरी तबाही से इनकार किया। सैटेलाइट तस्वीरों ने अमेरिकी दावों का समर्थन किया, जिसमें संयंत्रों को गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त दिखाया गया।  

    By Digital Desk Edited By: Piyush Kumar Updated: Wed, 25 Jun 2025 06:42 PM (IST)
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    अमेरिकी हमले के बाद ईरान के तीन परमाणु ठिकानों को जबरदस्त नुकसान पहुंचा है।(फोटो सोर्स: MAXAR)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली।  इजरायल ने 13 जून की सुबह ईरान के परमाणु ठिकानों पर मिसाइलों और ड्रोन से हमले किए थे। इस सैन्य कार्रवाई को इजरायल ने 'ऑपरेशन राइजिंग लायन' नाम दिया था। भले ही इजरायल ने ईरान के खिलाफ मोर्चा खोला था, लेकिन अमेरिका भी इस सैन्य कार्रवाई पर कड़ी नजर रख रही थी।

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    दरअसल, इजरायल और अमेरिका का एक ही उद्देश्य है कि किसी भी हाल में ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकना है।

    सैन्य कार्रवाई के दौरान इजरायल की सेना लगातार ईरान के अलग-अलग शहरों पर बम बरसा  रही थी, लेकिन ईरान के तीन महत्वपूर्ण परमाणु ठिकानों पर हमला करना इजरायल का लिए आसान नहीं था। यह तीनों परमाणु ठिकाने थे, नतांज, इस्फहान और फोर्डो।

    अमेरिका के B-2 बॉम्बर ने तीनों ठिकानों पर बरसाए बम

    एक तरफ जहां इजरायल और ईरान के बीच सैन्य संघर्ष जारी थी वहीं, दूसरी ओर अमेरिका की प्लानिंग इन तीनों ठिकानों को तबाह करने की थी।  22 जून की सुबह अमेरिका ने इन तीनों परमाणु ठिकानों पर बम बरसाए। अमेरिका ने B-2 स्पिरिट स्टील्थ बमवर्षक विमानों के जरिए अपनी सबसे ताकतवर बंकर-भेदी बम GBU-57 MOP से तीनों ठिकानों पर हमले किए।

    इस हमले से ईरान के तीनों परमाणु संयंत्र को जबरदस्त नुकसान पहुंचा है। अमेरिका ने दावा किया कि इस हमले से ईरान का परमाणु हथियार बनाने का सपना चकनाचूर हो चुका है। अमेरिका ने ये भी कहा कि फिलहाल ईरान अब लंबे समय तक परमाणु बम नहीं बना सकता। हालांकि, ईरान ने दावा किया कि अमेरिकी हमलों से उनके परमाणु कार्यक्रम पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है।

    कई थ्योरी यह भी सामने आई है कि ईरान ने हमले से पहले ही परमाणु हथियार से जुड़े मटेरियल को कहीं और शिफ्ट कर लिया था। लेकिन तीन परमाणु ठिकानों पर हुए हमले के बाद जो सैटेलाइट तस्वीरें सामने आई है वो ट्रंप के दावों का समर्थन करती है। सैटेलाइट तस्वीरों में देखा जा सकता है कि तीनों परमाणु ठिकानों को जबरदस्त नुकसान पहुंचा है। 

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    अमेरिकी हमले के बाद फोर्डो परमाणु संयंत्र की तस्वीर।(फोटो सोर्स: MAXAR)

    सैटेलाइट इमेज में फोर्डो संयंत्र पूरी तरह क्षतिग्रस्त दिख रहे। ईरान ने फोर्डो प्लांट को मानों एक अभेद्य किला में तब्दील कर रखा था। इस प्लांट को तबाह करने का मतलब था कि किसी पहाड़ को हिलाकर रख देना।

    ईरान ने इस संयंत्र को । एक पहाड़ के नीचे और जमीन से करीब 300 फीट गहराई में बनाया है। खास बात ये थी कि इस संयंत्र को खास तौर पर हवाई हमले से बचने के लिए ही डिजाइन किया गया था।

    इस संयंत्र में अत्यधिक संवर्धित यूरेनियम (U-235) का उत्पादन किया जा रहा था, जो दो परमाणु बम बनाने के लिए काफी अहम थे।

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    हमले के बाद इस्फहान संयंत्र की सैटेलाइट इमेज।(फोटो सोर्स: MAXAR)

    इस्फहान संयंत्र पर येलोकेक को यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड में बदला जा रहा था। इस संयंत्र पर रिएक्टर फ्यूल को निर्मित किया जा रहा था। वहीं परमाणु हथियारों के लिए यूरेनियम धातु बनाया जा रहा था।

    अमेरिकी हमले पर ईरान ने क्या कहा? 

    ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बाघेई ने बुधवार को पुष्टि की कि अमेरिकी हमलों में देश की परमाणु सुविधाओं को बुरी क्षति पहुंची है। हालांकि, उन्होंने इस बात से इनकार किया कि अमेरिकी हमले की वजह से परमाणु संयंत्र पूरी तरह तबाह हो गया है।