अमेरिका में अक्षरधाम मंदिर ने की UN के राजदूतों और प्रतिनिधिमंडलों की मेजबानी, हजारों स्वयंसेवक हुए शामिल
Akshardham Temple अमेरिका के न्यू जर्सी के रॉबिन्सविले में स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर का उद्घाटन हो गया है। स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर ने संयुक्त राष्ट्र के राजदूतों और प्रतिनिधियों के मंडल की मेजबानी की। इस यात्रा में कंबोडिया इरिट्रिया ग्रेनेडा गुयाना कजाकिस्तान लाइबेरिया मलावी मोरक्को नेपाल श्रीलंका सेंट विसेंट और ग्रेनेडाइंस तिमोर लेस्ते मंगोलिया दक्षिण अफ्रीका मालदीव के नेता एक साथ आए।

डिजिटल डेस्क, न्यू जर्सी। अमेरिका के न्यू जर्सी के रॉबिन्सविले में स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर का उद्घाटन हो गया है। स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर ने संयुक्त राष्ट्र के राजदूतों और प्रतिनिधियों के मंडल की मेजबानी की।
इस यात्रा में कंबोडिया, इरिट्रिया, ग्रेनेडा, गुयाना, कजाकिस्तान, लाइबेरिया, मलावी, मोरक्को, नेपाल, श्रीलंका, सेंट विसेंट और ग्रेनेडाइंस, तिमोर लेस्ते, मंगोलिया, दक्षिण अफ्रीका, मालदीव के नेता एक साथ आए। साथ ही इसमें पोलैंड, कोस्टा रिका, ब्राजील, लेबनान और भूटान और संयुक्त राष्ट्र के आतंकवाद निरोध कार्यालय के प्रतिनिधिमंड भी शामिल हुए।
कंबोडिया की महामहिम सोफिया ईट, इरीट्रिया की महामहिम सोफिया टेसफामरियम, ग्रेनाडा के महामहिम चे आजमू फिलिप, गुयाना की महामहिम कैरोलिन रोड्रिग्स-बिरकेट, कजाकिस्तान के महामहिम अकान रख्मेतुलिन, लाइबेरिया की महामहिम सारा सफीन फिनेह, मलावी की महामहिम एग्नेस मैरी चिम्बिरी मोलांडे, मोरक्को के महामहिम उमर हिलाना, नेपाल के महामहिम लोक बहादुर थापा, श्रीलंका के महामहिम मोहन पियरिस, सेंट विंसेंट और ग्रेनाडाइन्स की महामहिम इंगा रोंडा किंग, तिमोर लेस्ते के महामहिम कार्लिटो नून्स, मंगोलिया के महामहिम एनखबोल्ड वोर्शिलोव, दक्षिण अफ्रीका की महामहिम माथु जोयिनी और मालदीव की राजदूत महामहिम हला हमीद सहित इन सम्मानित राजनयिकों की उपस्थिति ने शांति, एकता और सांस्कृतिक संरक्षण के सार्वभौमिक संदेश को रेखांकित किया जिसका अक्षरधाम प्रतिनिधित्व करता है।
प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाली भारत की राजदूत रुचिरा कंबोज ने अपने साथी राजदूतों और प्रतिनिधियों को यह अनूठा अवसर प्रदान किया है।
भौगोलिक सीमाओं को पार करते हुए और वैश्विक सद्भाव को बढ़ावा देने वाला अक्षरधाम, बीएपीएस के पूर्व आध्यात्मिक गुरु, प्रमुखस्वामी महाराज के दृष्टिकोण का एक प्रमाण है। यह मंदिर दुनिया भर के 12,5000 से अधिक स्वयंसेवकों द्वारा वर्षों के समर्पित प्रयास की परिणति का प्रतिनिधित्व करता है। 8 अक्टूबर, 2023 को इसका उद्घाटन, हिंदू भारतीय संस्कृति और रंपराओं का सीमाचिह्नरूप होगा, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए शांति, आशा और सद्भाव का संदेश फैलाएगा।
अक्षरधाम का भव्य समर्पण समारोह दुनिया भर में विभिन्न समुदायों और राष्ट्रों को जोड़ने वाले शांति और सांस्कृतिक एकता के आदर्शों का उदाहरण होगा। अपने-अपने देशों और अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडलों के प्रतिनिधियों के रूप में उपस्थित लोगों ने वैश्विक समझ और सहयोग को बढ़ावा देने में अंतर-सांस्कृतिक प्रशंसा और आध्यात्मिक सद्भाव के महत्व को स्वीकार किया।
जब मोहन पियरिस (श्रीलंका में संयुक्त राष्ट्र के राजदूत) ने पूछा कि प्रतिनिधिमंडल अन्य नेताओं के साथ क्या संदेश साझा कर सकता है, तब अटलांटा के बीएपीएस स्वयंसेवक कुंज पंड्या ने एक सरल लेकिन सशक्त उत्तर साझा किया। "आप सभी पेशेवर रूप से बाहरी विश्व शांति के लिए एक शक्तिशाली प्रयास कर रहे हैं। लेकिन मुझे लगता है कि विश्व शांति प्राप्त करने के लिए, हमें पहले आंतरिक शांति ढूंढनी होगी। मैं संयुक्त राष्ट्र के प्रत्येक सदस्य को यहां अक्षरधाम में आंतरिक शांति का अपना घर खोजने के लिए आमंत्रित करता हूं। ताकि उस लहर को जगाया जा सके और विश्व शांति उत्पन्न की जा सके।"
प्रतिनिधिमंडल की यात्रा ने वैश्विक स्तर पर शांति, समझ और सांस्कृतिक संरक्षण को बढ़ावा देने की उनकी प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला, जिन संदेशों और मूल्यों को अक्षरधाम भी रेखांकित करता है।
संध्या सभा में बड़ी संख्या में भक्त, शुभचिंतक और गणमान्य व्यक्ति महंतस्वामी महाराज के असाधारण सेवामय जीवन और शांति की स्थायी विरासत का जश्न मनाने वाले एक हार्दिक कार्यक्रम के लिए रॉबिंसविले, न्यू जर्सी, बीएपीएस स्वामीनारायण अक्षरधाम में एकत्रित हुए। बीएपीएस के पूज्य आध्यात्मिक गुरु महंतस्वामी महाराज दुनिया भर में अनगिनत व्यक्तियों के लिए एक मार्गदर्शक प्रकाश और प्रेरणा के स्रोत रहे हैं। आध्यात्मिकता, निःस्वार्थ सेवा और सार्वभौमिक प्रेम के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता ने कितनों के दिलों को छू लिया है और कई लोगों का जीवन बदल दिया है।
आर्ष विद्या मंदिर के संस्थापक आचार्य स्वामी परमात्मानंदजी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, “मुझे लगभग 48 साल पहले (महंतस्वामी महाराज) से मिलने का सौभाग्य मिला था। मैं उनके साथ रहा। इन सभी सालों में एक बात जो मैंने उनमें देखी, वह यह कि वे हिंदू संस्कृति, हिंदू मूल्यों और हिंदू धर्म के साक्षात मूर्त स्वरूप हैं।
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बीएपीएस स्वामीनारायण अक्षरधाम के भव्य समर्पण समारोह की पूर्व संध्या पर महंतस्वामी महाराज के जीवन का यह उत्सव दुनिया भर के व्यक्तियों और समुदायों पर उनके गहरे प्रभाव की याद दिलाता है। आस्था, एकता और निःस्वार्थ सेवा के मूल्यों के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता अनगिनत आत्माओं को उनकी आध्यात्मिक यात्राओं पर प्रेरित और मार्गदर्शन करती रहती है।
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