Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    21वीं सदी में महिलाएं और समाज

    By Edited By:
    Updated: Thu, 07 Mar 2013 01:41 PM (IST)

    नई दिल्ली [प्रजेश शंकर]। देश-दुनिया और समाज में जिस तेजी से बदलाव हो रहा है उस हिसाब से महिलाओं के प्रति लोगों के नजरिए , मानसिकता और सोच में बदलाव नहीं हो रहा है। हम आज भी उसी पुरानी सोच और परंपरा की बात करते हैं जिस सोच और परंपरा को कट्टरपंथी और समाज के तथाकथित ठेकेदार अपनी बातों को महिलाआ

    नई दिल्ली [प्रजेश शंकर]। देश-दुनिया और समाज में जिस तेजी से बदलाव हो रहा है उस हिसाब से महिलाओं के प्रति लोगों के नजरिए , मानसिकता और सोच में बदलाव नहीं हो रहा है। हम आज भी उसी पुरानी सोच और परंपरा की बात करते हैं जिस सोच और परंपरा को कट्टरपंथी और समाज के तथाकथित ठेकेदार अपनी बातों को महिलाओं पर लादने की कोशिश करते रहे हैं और करते हैं। इसका ताजा उदाहरण कट्टरपंथियों की धमकियों के बीच कल तक अडिग नजर आ रहीं, कश्मीर का पहला रॉक बैंड 'परगाश' बनाने वाली तीनों लड़कियों ने सोमवार को कथित तौर पर न सिर्फ अपने बैंड, बल्कि संगीत से भी तौबा कर ली।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दरअसल महिला सशक्तिकरण के बारे में समाज के विभिन्न वर्गो, व्यवसायों एवं आर्थिक स्तरों से जुडे़ व्यक्तियों [पुरूष व महिला दोनों] की नजर में अलग-अलग मायने और दृष्टिकोण हैं। एक ओर जहां यह महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता या आर्थिक रूप से आत्मनिर्भरता होना है तो दूसरे रूप में पुरूषों के समान स्थिति को प्राप्त करना।

    समाज में एक सोच के अनुसार पूरी तरह पाश्चात्यता अथवा अत्याधुनिकता को अपनाना ही सशक्तीकरण है। उपरोक्त सभी सशक्तिकरण की कतिपय पहलु मात्र है। संपूर्ण एवं समग्र सशक्तिकरण वह स्थिति है जब महिलाओं के व्यक्ति्व का विकास, शिक्षा प्राप्ति, व्यवसाय, परिवार में निर्णय का समान अवसर मिले, जब वह आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो, शारीरिक व भावनात्मक रूप से सुरक्षित महसूस करे तथा तमाम रूढि़वादी व अप्रासंगिक रिवाजों, रूढि़वादी बंधनों से पूरी तरह स्वतंत्र हो।

    वर्तमान परिप्रेक्ष्य में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता को न केवल समाज, परिवारों, बल्कि सरकार के स्तर से भी अनुभव किया गया है। हमारे स्वतंत्र देश के संविधान में महिला और पुरूष के आधार पर नागरिकों में भेद नहीं किया गया बल्कि समान अवसर दिए गए है। मतदान का अधिकार महिलाओं को भी दिया गया जो कि स्वयं में एक क्रांतिकारी कदम था। यहां यह उल्लेख करना प्रसांगिक होगा कि अमेरिका एवं यूरोप के विभिन्न देशों में लोकतांत्रिक व्यवस्था स्थापित होने के कई दशकों बाद महिलाओं को मतदान का अधिकार दिया गया था। केंद्र व राज्य सरकार के स्तर से महिलाओं एवं बालिकाओं के लिए कल्याणकारी योजनाएं तथा नि:शुल्क शिक्षा व्यवस्था, साईकल देने, अतिरिक्त पोषाहार, संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देना, तथा स्वंय सहायता समूहों को बढ़ावा देना, छात्रवृति तथा व्यवसायिक प्रशिक्षण देने आदि के माध्यम से महिलाओं को सहायता दी जा रही है। शैक्षिक, आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए विभिन्न कार्य किये जा रहे हैं जिनके सकारात्मक परिणाम भी दिख रहे है। इसकी मिसाल कुछ राज्यों में हुए पंचायत चुनाव, जिनमें 50 फीसदी पद महिलाओं के लिए आरक्षित हैं, यह महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक ठोस पहल साबित हुआ है। इसके बावजूद अभी भी महिलाओं के संपूर्ण सशक्तिकरण की दिशा में बहुत अधिक प्रयासों की आवश्यकता है।

    मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर