इस्लामपुर को जिला बनाने की मांग को लेकर सड़क पर उतरे लोग
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जागरण संवाददाता , उत्तर दिनाजपुर : जिले की मागें कितनी प्रबल हैं, भीषण गर्मी के बावजूद हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए हैं। आम आदमी की यह लंबे समय से चली आ रही माग को कैसे प्रकट किया जा सकता है? इन सवालों का जवाब जुलूस में देखने को मिला। रविवार को इस्लामपुर बस टर्मिनस पर आयोजित रैली में यह पहला मौका है जब शहर के लोगों ने जिले की माग को लेकर आवाज उठाई है। इस्लामपुर को पूर्ण जिला घोषित करने की माग पहले भी कई बार उठाई जा चुकी है और ऐसे लोगों ने उस माग को सफल बनाने के लिए कई आदोलन और जुलूस देखे गए थे, लेकिन उनमें से किसी को भी निरंतरता नहीं मिली।
माना जाता है कि इसी कारण अब तक इस्लामपुर जिला बनाने की माग पुरे नहीं हो पाया है । इसलिए इस दिन फेडरेशन ऑफ इस्लामपुर ट्रेडर्स ऑर्गनाइजेशन इसी माग को लेकर सड़कों पर उतरे हैं। हालाकि संगठन के सदस्यों ने जिले की मागों को पूरा करने के लिए क्षेत्रवासियों के साथ लेकर लगातार आदोलन शुरू कर देने का एलान किया है। हालाकि यह इस बार जिले बनाने के साथ साथ अन्य सत्रह अन्य मागों की भी शामिल किया गया है। संगठन के सचिव डॉ. सुभाष चक्रवर्ती और संगठन के अध्यक्ष कनई लाल बोथरा ने कहा कि जिला बनाने की माग को पूरा करने के लिए उनके पास विभिन्न कार्यक्रम होंगे ।
धारावाहिक तौर आदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक आम लोगों की मागें पूरी नहीं हो जाती है । यह तो नया करके शुरुआत है।
वहीं दूसरी ओर इस्लामपुर अनुमंडल की भौगोलिक तस्वीर पर नजर डालें तो सोनापुर से करंदीघी तक इस्लामपुर अनुमंडल दिखाई देता है। सोनपुर के आसपास कई ग्रामीण क्षेत्र हैं जैसे हप्तियागच, कचाकली, देवी जोरा, दासपाड़ा से रायगंज लगभग 160 से एक सौ सत्तर किलोमीटर। सामान्य लोग जिला मुख्यालय रायगंज विभिन्न काम करके एक दिन वापस लौट पाना एक दिन मुश्किल हो जाता है। इस्लामपुर से भी लगभग 11 किलोमीटर है इसलिए इस माग के बारे में लंबे समय से आवाज चल रही है। सभी बुनियादी ढाचे के बावजूद इस्लामपुर जिला क्यों नहीं होगा ? यह सभी कहते सुने जाते हैं। यह माग आज की रैली में चर्चा का मुख्य विषय थी। इस सभा में विशिष्ट जनों में हिमाशु सरकार, अब्दुल जब्बार, डॉ. सुजीत साहा, निशिकात सिन्हा, माणिक चंद्र दास और करुणामय दास अन्य लोगों के बीच उपस्थित थे गंगेश दे सरकार, असित पाल, जगद्दार्थी सरकार, पसारुल आलम, संजीव बागची के प्रव1ता मनीष सिंघल और सह-अध्यक्ष रवि रत्न रॉय ने अपने विचार रखे हैं।

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