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    West Bengal: मंकीपॉक्स की एक घंटे में पहचान करेगी नई किट, पुरुलिया के वैज्ञानिक ने किया कारनामा

    मंकीपॉक्स एक संक्रामक विषाणुजनित रोग है जो वैश्विक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अफ्रीका में 14000 से अधिक मामले सामने आए हैं और 500 से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है। यह रोग शारीरिक संपर्क संक्रमित व्यक्ति के स्राव या क्षतिग्रस्त त्वचा के संपर्क में आने से फैलता है।

    By Jagran News Edited By: Piyush Kumar Updated: Thu, 09 Jan 2025 06:55 PM (IST)
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    मंकीपाक्स की जांच को नई किट आविष्कार के लिए आइसीएमआर से स्मृति चिन्ह ग्रहण करते वैज्ञानिक डा. नंदी।

    बिष्णु चंद्र पाल, पुरुलिया। चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करते हुए, पुरुलिया निवासी वैज्ञानिक श्याम सुंदर नंदी ने मंकीपॉक्स वायरस की शीघ्र पहचान के लिए एक अभिनव किट का आविष्कार किया है।

    'आइसोथर्मल एम्प्लीफिकेशन लैंप किट, नामक यह किट मात्र एक घंटे में जांच रिपोर्ट प्रदान करने में सक्षम है, जो वर्तमान में उपलब्ध जांच विधियों की तुलना में अत्यंत तीव्र है। इस उपलब्धि के लिए हाल ही में नंदी को नई दिल्ली में आयोजित 'हेल्थ रिसर्च एक्सीलेंस समिट 2024' में केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल द्वारा सम्मानित किया गया।

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    यह किट न केवल सरकारी अस्पतालों में निश्शुल्क जांच को सुगम बनाएगा, बल्कि निजी प्रयोगशालाओं में भी लगभग 400 रुपये में उपलब्ध होगा। नंदी, जो नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी में डिप्टी डायरेक्टर और वैज्ञानिक हैं, ने इस किट का विकास भारत सरकार के आर्थिक सहयोग से डेढ़ वर्षों के गहन अनुसंधान के पश्चात किया है। उनकी टीम में सोनाली सावंत, जगदीश देशपांडे, प्रज्ञा यादव और अनीता भी शामिल थीं।

    रैपिड कार्ड से होगा टेस्ट

    नंदी द्वारा विकसित 'आइसोथर्मल एम्प्लीफिकेशन लैंप किट' इस रोग के नियंत्रण में एक परिवर्तनकारी भूमिका निभा सकती है। यह किट पारंपरिक रीयल-टाइम पीसीआर परीक्षण की तुलना में अधिक तीव्र और सुलभ है। वर्तमान में, मंकीपाक्स की जांच केवल चुनिंदा सरकारी अस्पतालों में ही उपलब्ध है और रिपोर्ट आने में छह घंटे तक का समय लगता है।

    निजी लैब में यह सुविधा उपलब्ध ही नहीं है। नई किट के बारे में डा. श्याम सुंदर नंदी ने बताया कि मंकीपाक्स का टेस्ट रैपिड कार्ड से होगा। मरीजों के खून, लार, वीर्य और घाव के लिक्विड से भी कार्ड के माध्यम से मंकीपाक्स की जांच की जा सकती है।

    एक घंटे में रिपोर्ट, प्रसार पर अंकुश

    नई किट के आगमन के बाद रोगी को महज एक घंटे में रिपोर्ट मिल जाएगी। यह किट लक्षण प्रकट होने से पहले भी संक्रमण का पता लगा सकती है, जो रोग के प्रसार को रोकने में अत्यंत सहायक होगा। किट के व्यावसायिक रूप से उपलब्ध होने के बाद, यह देश भर के अस्पतालों और प्रयोगशालाओं में मंकीपाक्स की जांच को सुलभ और किफायती बना देगा।

    मंकीपॉक्स : एक वैश्विक चिंता

    मंकीपॉक्स एक संक्रामक विषाणुजनित रोग है जो वैश्विक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, अफ्रीका में 14,000 से अधिक मामले सामने आए हैं और 500 से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है। यह रोग शारीरिक संपर्क, संक्रमित व्यक्ति के स्राव, या क्षतिग्रस्त त्वचा के संपर्क में आने से फैलता है। भारत में भी, विशेषकर केरल में, मंकीपाक्स के मामले दर्ज किए गए हैं। इस रोग की मृत्यु दर लगभग 10 प्रतिशत है, जो इसे और भी खतरनाक बनाती है।

    वैज्ञानिक की अन्य उपलब्धियां

    नंदी का यह आविष्कार चिकित्सा विज्ञान में उनका नवीनतम योगदान है। इससे पूर्व, उन्होंने कोरोनावायरस, सिलिकोसिस, और निपा वायरस की पहचान के लिए भी किट विकसित किए हैं। उन्होंने पोलियो उन्मूलन के लिए 'सेल लाइन' का भी आविष्कार किया है, जिसे चिकित्सा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है।

    पुरुलिया से स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद नंदी ने आइआइटी टी दिल्ली से एमएससी. बायोटेक्नोलाजी और पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने यूनिवर्सिटी आफ इलिनोइस, शिकागो से पोस्ट-डाक्टोरल शोध पूरा किया, जहां उन्होंने वायरल जीनोमिक्स और जीनोम एडिटिंग टेक्नोलाजीज पर काम किया।

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