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पुरुलिया के विज्ञानी ने बनाया सिलिकोसिस टेस्ट किट

विष्णुचंद्र पाल पुरुलिया पुरुलिया के विज्ञानी डा. श्याम सुंदर नंदी ने सिलिकोसिस टेस्ट किट बनाया

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Oct 2021 05:00 AM (IST)Updated: Wed, 20 Oct 2021 05:00 AM (IST)
पुरुलिया के विज्ञानी ने बनाया सिलिकोसिस टेस्ट किट
पुरुलिया के विज्ञानी ने बनाया सिलिकोसिस टेस्ट किट

विष्णुचंद्र पाल, पुरुलिया : पुरुलिया के विज्ञानी डा. श्याम सुंदर नंदी ने सिलिकोसिस टेस्ट किट बनाया है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) के अधीन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के मुंबई यूनिट में ज्वाइंट डायरेक्टर डा. श्याम सुंदर नंदी ने बताया कि सिलिकोसिस फेफड़ों की कए जटिल बीमारी है। जो सिलिका के क्षूक्ष्म धूलकणों का सांस के साथ शरीर में जाने के कारण होता है। सिलिका बालू चट्टान व क्वाटर््ज जैसे खनिज अयस्क का प्रमुख घटक है। जो लोग सैंड ब्लस्टिंग, खनन उद्योग विनिर्माण आदि क्षेत्र में कार्य करते हैं उन्हें सिलिकोसिस से ग्रस्त होने का जोखिम रहता है। सिलिका के धूलकणों के कारण तरल एकत्रित होता है और फेफड़ों के टिश्यु को जख्मी कर देता है, जिससे सांस लेने की क्षमता घट जाती है। श्याम सुंदर नंदी ने बताया कि कुल मिलाकर यह एक लाइलाज बीमारी है और बचाव ही एकमात्र उपाय है।

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डा. श्याम सुंदर नंदी ने बताया कि सिलिकोसिस टेस्ट किट के माध्यम से खून की जांच कर बताया जा सकता है कि मरीज सिलिकोसिस से ग्रसित है कि नहीं। उन्होंने कहा कि किट बनाने में उनकी मदद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑक्यूपेशनल हेल्थ के डायरेक्टर कमलेश सरकार एवं नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के विज्ञानी उपेंद्र लंबे, सोनाली सावंत एवं जगदीश देशपांडे ने की है। पुरुलिया जिले के हुड़ा थाना अंतर्गत बड़ग्राम निवासी डा. श्याम सुंदर नंदी का कहना है कि मौजूदा दौर में देश की एक बड़ी आबादी सिलिकोसिस बीमारी ग्रसित है। अब तक चिकित्सक इस बीमारी का पता एक्सरे व सिटी स्कैन के माध्यम से करते आ रहे थे। हालांकि सभी जगहों पर सिटी स्कैन की व्यवस्था नहीं होने या लिए आर्थिक रूप से सक्षम नहीं होने के कारण लोग सिटी स्कैन नहीं करा पाते थे। नतीजन बीमारी गंभीर हो जाती थी और उनकी मौत हो जाती थी। उन्होंने कहा कि सिलिकोसिस टेस्ट किट होने से अब चिकित्सकों को काफी राहत मिलेगी।

बता दें, डा. श्याम सुंदर नंदी की प्रारंभिक पढ़ाई उनके पैतृक गांव नपाड़ा से की है। इसके बाद वे आइआइटी दिल्ली से पीएचडी की। इसके बाद वे अमेरिका के इलिनय विश्वविद्यालय से जिनोमिक्स में पोस्ट डाक्टरेट फैलोशिप करने के बाद वर्ष 2009 से नेशनल इंस्टीट्यूट वायरोलॉजी मुंबई में तैनात हैं। सिलिकोसिस किट के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि मरीज के एक बूंद खून से पता चल जाता है कि उसे सिलिकोसिस हुआ है कि नहीं। उन्होंने अपनी इस उपलब्धि का श्रेय नपाड़ा हाईस्कूल के प्रधान शिक्षक स्व. अवनी सतपति, हुड़ा दांदुडीह हाई स्कूल के प्रधान शिक्षक स्व. मदन मोहन महतो एवं अपने पिता स्व. हंसेश्वर नंदी को दी है।


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