West Bengal Politics : शाह ने जिस सोनार बांग्ला का किया है वादा, उसका बंग भंग आंदोलन से जुड़ा है इतिहास
West Bengal Politics गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर ने सन 1905 में लिखा था ‘ आमार सोनार बांग्ला ’ गीत। हिंसा व अपराध में बंगाल शीर्ष पर है लेकिन भाजपा बंगाल के पुराने गौरव को लौटाना चाहती है। सरकार बंगाल के गौरव व संस्कृति को वापस लाने में सफल होगी।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दो दिवसीय बंगाल दौरे के साथ ही राज्य में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज गया है। इसके साथ ही चुनावी समर में शाह ने बंगाल को तृणमूल कांग्रेस के कुशासन से मुक्त कर ‘सोनार बांग्ला’ बनाने का वादा किया है। ऐसी सरकार बनाने का वादा किया है, जो बंगाल के गौरव व संस्कृति को फिर से वापस लाने में सफल होगी। दरअसल शाह ने जिस सोनार बांग्ला का वादा किया है उसके बारे में बात करें तो इसका इतिहास सन 1905 के बंग भंग आंदोलन से जुड़ा है।
बंगाल-विभाजन या बंग भंग 16 अक्टूबर 1905 से प्रभावी
19 जुलाई 1905 को भारत के तत्कालीन वाइसराय कर्जन ने फूट डालो शासन करो की नीति के तहत एक मुस्लिम बहुल प्रांत का सृजन करने के उद्देश्य से ही भारत के बंगाल को दो भागों में बांटने का निर्णय लिया। बंगाल-विभाजन या बंग भंग 16 अक्टूबर 1905 से प्रभावी हुआ।
1908 ई. में संपूर्ण देश में बंग-भंग आंदोलन शुरु हो गया
इसके विरोध में 1908 ई. में संपूर्ण देश में बंग-भंग आंदोलन शुरु हो गया। अंततः राजनीतिक अशांति के कारण 1911 में अंग्रेजों को यह निर्णय वापस लेना पड़ा और पूर्वी व पश्चिम बंगाल फिर से एक हो गया। वर्तमान में देश में बंगाल की चर्चा कुशासन, राजनीतिक हिंसा और आंदोलन में होती है।
गुरुदेव ने 1905 में लिखा था ‘आमार सोनार बांग्ला’ गीत
बंग भंग आंदोलन के दौरान गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर का सितंबर 1905 में ‘बंगदर्शन’ नाम की एक पत्रिका में आमार सोनार बांग्ला ’ गीत प्रकाशित हुई थी। गुरुदेव ने बांग्ला भाषा में यह गीत लिखा था। ‘सोनार बांग्ला ’ शब्द गुरुदेव के उसी गीत से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है, 'मेरा सोने का बंगाल'। फिलहाल यह गीत बांग्लादेश का राष्ट्र गान है।
गुरुदेव की भतीजी इंदिरा देवी ने म्यूजिकल नोटेशन दिया
इसके साथ ही बंगाल में भी यह काफी लोकप्रिय है। बंग भंग आंदोलन के दौरान गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की गीत ‘आमार सोनार बांग्ला ’ काफी प्रसिद्ध हुआ था तथा आंदोलन का मूल शक्ति के रूप में उभरा था। आंदोलन का विरोध करने वाले बंगाल के स्वतंत्रता संग्रामियों ने इस गीत का काफी इस्तेमाल किया था। गुरुदेव की भतीजी इंदिरा देवी ने इसका म्यूजिकल नोटेशन दिया था।
1971 में गीत की शुरुआती 10 पंक्तियां राष्ट्रगान में स्वीकृत
दरअसल, इस गीत के जरिए यह संदेश देने की कोशिश की थी कि सभी लोग बंगाल को एक समान रूप से प्यार करते हैं। बांग्लादेश बनने के बाद साल 1971 में इस गीत की शुरुआती 10 पंक्तियों को राष्ट्रगान के रूप में स्वीकृत किया गया। इसके वाद्य आर्केस्ट्रा को समर दास ने संगीतबद्ध किया था। बंगाल के बंगाली सिनेमा में गुरुदेव के इस गीत का खूब प्रयोग हुआ है।
गोल्डेन एज में बंगाल को लौटाने का है भाजपा का वादा
इधर, बंगाल भाजपा के इंटेलेक्च्युल सेल के संयोजक डॉ पंकज रॉय का कहना है कि 34 वर्षों के वाममोरचा व साढ़े नौ वर्षों के टीएमसी के शासन में बंगाल की गौरवमय संस्कृति विलुप्त हो गई है। स्वतंत्रता के समय देश के जीडीपी में बंगाल की भागीदारी 42 फीसदी थी। अब घट 3 फीसदी हो गई है।
भाजपा वापस बंगाल गोल्डेन एज में ले जाना चाहती है
हिंसा व अपराध में बंगाल शीर्ष पर है, लेकिन भाजपा बंगाल के पुराने गौरव को लौटाना चाहती है। उसे वापस गोल्डेन एज में ले जाना चाहती है। इसी कारण हम बंगाल को ‘सोनार बांग्ला ’बनाने का वादा कर रहे हैं, जिसका इतिहास भी गौरवमय था और संस्कृति भी गौरवमय थी।