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    West Bengal: मणिपुर के राज्यपाल ला गणेशन को मिला बंगाल का अतिरिक्त प्रभार, शपथ ग्रहण में मौजूद रहीं ममता

    मणिपुर के राज्यपाल ला गणेशन को बंगाल का नया राज्यपाल बनाया गया है। वे मणिपुर के भी राज्यपाल हैं। उन्हें बंगाल का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। सोमवार शाम राजभवन में आयोजित समारोह में कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव ने उन्हें पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई।

    By Sumita JaiswalEdited By: Updated: Mon, 18 Jul 2022 07:51 PM (IST)
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    मणिपुर के राज्यपाल ला गणेशन को बंगाल का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।

    कोलकाता,राज्य ब्यूरो। मणिपुर के राज्यपाल ला गणेशन (Manipur Governor La Ganeshan) को बंगाल का नया राज्यपाल बनाया गया है। वे मणिपुर के भी राज्यपाल हैं। उन्हें बंगाल का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। सोमवार शाम राजभवन में आयोजित समारोह में कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव ने उन्हें पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस अवसर पर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बंगाल विधानसभा स्पीकर बिमान बनर्जी, तृणमूल कांग्रेस सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय, राज्य की महिला व शिशु कल्याण मंत्री डा. शशि पांजा समेत अन्य विशिष्ट जन उपस्थित थे।

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    शपथ ग्रहण के बाद मुख्यमंत्री ने राज्यपाल से सौजन्यमूलक मुलाकात की। ला गणेशन बंगाल के 28वें राज्यपाल बने हैं। गौरतलब है कि भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की ओर से उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद जगदीप धनखड़ ने बंगाल के राज्यपाल के पद से इस्तीफा दे दिया। धनखड़ का बंगाल की ममता सरकार के साथ टकराव जगजाहिर रहा है। हमेशा खुलकर बोलने वाले धनखड़ ने राज्यपाल का पद संभालने के बाद से ही बंगाल में कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर ममता सरकार से सवाल करना शुरू कर दिया था। सत्ताधारी दल तृणमूल कांग्रेस को यह रास नहीं आया था और वह उनपर निशाना साधने लगी थी। धनखड़ ने कहा था कि बंगाल में कानून का राज नहीं बल्कि सत्ताधारी दल का कानून चलता है।

    धनखड़ कानून-व्यवस्था से जुड़े मामलों को लगातार उठाते रहे थे और इसे लेकर प्रशासनिक अधिकारियों को राजभवन भी तलब करते रहे थे। तृणमूल ने उन्हें सीधे तौर पर भाजपा का प्रवक्ता करार देते हुए यहां तक कह दिया था कि भाजपा कार्यालय राजभवन से चल रहा है। इस आरोप से इतर धनखड़ हमेशा यही कहते रहे थे कि राज्य के संवैधानिक प्रमुख के तौर पर वे चुप नहीं रह सकते। बंगाल में संविधान को खतरे में देखकर वे बोलेंगे ही।