West Bengal: 100 दिनी रोजगार योजना में अनियमितताओं को लेकर केंद्र ने बंगाल से तलब की रिपोर्ट
बंगाल में 100 दिनी रोजगार योजना में अनियमितताओं को लेकर केंद्र सरकार ने राज्य से रिपोर्ट मांगी है। कुछ दिन पहले ही केंद्रीय टीम ने बंगाल के विभिन्न जिलों में जाकर रोजगार योजना की स्थिति का जायजा लिया था। टीम ने अपने मुआयने में भारी अनियमितताएं पाई हैं

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल में 100 दिनी रोजगार योजना में अनियमितताओं को लेकर केंद्र सरकार ने राज्य से रिपोर्ट मांगी है। कुछ दिन पहले ही केंद्रीय टीम ने बंगाल के विभिन्न जिलों में जाकर रोजगार योजना की स्थिति का जायजा लिया था। टीम ने अपने मुआयने में भारी अनियमितताएं पाई हैं, मसलन कहीं उन्होंने बच्चों को काम करते देखा कहीं कागज में काम दिखाए जाने पर भी वास्तव में कोई काम नहीं हुआ है। कुछ जगहों पर जाब कार्ड व मास्टर रोल में गड़बड़ी पाई गई जबकि कुछ जगहों पर मास्टर रोल ही नहीं मिला। टीम की रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राज्य को पत्र लिखकर 'एक्शन टेकेन रिपोर्ट' मांगी है।
केंद्रीय टीम ने बंगाल के 15 जिलों का दौरा किया था। प्रत्येक जिले के कम से कम दो ब्लाक के छह ग्राम पंचायतों में जाकर प्रत्येक ग्राम पंचायत में रोजगार योजना की स्थिति का जायजा लिया गया था। केंद्रीय टीम का योजनाओं का मुआयना करने आना स्वाभाविक प्रक्रिया है, लेकिन पिछली बार हरेक चीज का जितनी बारीकी से निरीक्षण किया गया, वैसा उससे पहले कभी नहीं हुआ। सूत्र बताते हैं कि बंगाल में चल रहीं विभिन्न केंद्रीय योजनाओं की समीक्षा रिपोर्ट इस बार प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में भी जमा पड़ी है। ऐसा पहली बार हुआ है। इससे पहले केंद्रीय टीम में राज्य सरकार के अधिकारी भी 'थर्ड पार्टी' के तौर पर शामिल रहते थे लेकिन इस बार सिर्फ केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के अधिकारियों को लेकर टीम का गठन किया गया था।
गौरतलब है कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने पिछले दिल्ली दौरे के समय पीएम मोदी से मुलाकात कर राज्य में चल रहीं विभिन्न केंद्रीय योजनाओं के बकाया फंड को जल्द से जल्द जारी करने का अनुरोध किया था। सूत्रों ने बताया कि पीएम मोदी खुद बंगाल में उन योजनाओं की प्रगति व उनके लिए अब तक जारी किए गए फंड का जायजा लेना चाहते हैं। वे यह भी देखना चाहते हैं कि अब तक दिए गए फंड का कितना इस्तेमाल हुआ है और किस तरह से इस्तेमाल हुआ है। अनियमितताएं पाए जाने से बंगाल को फंड मिलने में मुश्किल हो सकती है। आर्थिक तंगी से जूझ रहे राज्य को इस समय केंद्रीय फंड की बेहद जरुरत है।

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