WB SSC Scam: पार्थ चटर्जी ने काले धन से खरीदी संपत्ति के कागजात में की यह चालाकी, फिर भी पकड़े गए
शिक्षक नियुक्ति घोटाले में गिरफ्तार राज्य के पूर्व उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी ने अपनी पहचान छिपाने के लिए काले धन से खरीदी गईं कई संपत्ति के कागजातों ...और पढ़ें

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। शिक्षक नियुक्ति घोटाले में गिरफ्तार राज्य के पूर्व उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी ने अपनी पहचान छिपाने के लिए काले धन से खरीदी गईं कई संपत्ति के कागजातों में अपने कालेज के समय की तस्वीर का इस्तेमाल किया था। ईडी को मामले की जांच में इसका पता चला है। ईडी के हाथ पार्थ के नाम से खरीदी गईं ऐसी कई जमीन के कागजात लगे हैं, जिनमें पार्थ की कालेज के समय की तस्वीर लगी है, जिससे उन्हें पहचानना मुश्किल हो रहा है। आमतौर पर संपत्ति के कागजात में क्रेता व विक्रेता की हाल की तस्वीर लगाई जाती है। ईडी का अनुमान है कि पार्थ ने अपनी पहचान छिपाने के लिए ऐसा किया था।
इतना ही नहीं प्रॉपर्टी के कागजात पर किए गए उनके हस्ताक्षर भी अभी के हस्ताक्षर से काफी भिन्न हैं। सूत्रों ने बताया कि पार्थ और उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी ने 2012 में संयुक्त रूप से कोलकाता के दो वाशिंदा से शांतिनिकेतन में उनकी सात कट्ठा जमीन खरीदी थी। उसके कागजात में पार्थ की ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर लगी है। वह 35 से 40 साल पुरानी लग रही है। उस वक्त पार्थ कालेज में पढ़ते होंगे। हालांकि अर्पिता व जमीन के विक्रेताओं की उस समय की हालिया तस्वीरें ही लगी थीं। कागजात में अर्पिता व विक्रेताओं की उंगलियों की छाप स्पष्ट है लेकिन पार्थ की धुंधली सी है। ईडी का मानना है कि ऐसा जान-बूझकर किया गया था।
यह भी पता चला है कि संयुक्त रूप से जमीन खरीदे जाने पर भी इसका म्यूटेशन सिर्फ अर्पिता के नाम पर हुआ था। जानकारों का कहना है कि संयुक्त मालिक की सूरत में कोई एक के अपना हिस्सा दूसरे को उपहार के तौर पर देने पर ही एक के नाम से म्यूटेशन होता है। इसके लिए 'गिफ्ट डीड' बनवाना पड़ता है। सवाल यह भी उठ रहा है कि जमीन के कागजात में इतनी बड़ी-बड़ी त्रुटियां होने के बावजूद यह भूमि राजस्व विभाग के अधिकारियों की नजर में क्यों नहीं आई? पार्थ ने ईडी को पूछताछ में बताया है कि अर्पिता के साथ उनकी जान-पहचान ज्यादा दिनों की नहीं है, संपत्ति के कागजात उनकी इस बात को भी झूठा साबित कर रहे हैं।

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