बंगाल पंचायत चुनाव के ओपिनियन पोल में TMC के लिए अच्छे नहीं संकेत, अल्पसंख्यक वोटबैंक में गिरावट की संभावना
WB Panchayat Polls पंचायत चुनाव से पहले ओपिनियन पोल में टीएमसी के लिए अच्छे संकेत नजर नहीं आ रहे हैं। जिला परिषदों के कामकाज से 49 प्रतिशत लोगों ने नाराजगी जताई है। वहीं 59 प्रतिशत लोगों ने तृणमूल के अल्पसंख्यक वोटों में भी गिरावट की संभावना जताई है। बताया जा रहा है कि चुनाव से पूर्व नामांकन के दौरान हुई हिंसा ने तृणमूल की छवि खराब की है।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल में आठ जुलाई को होने वाले पंचायत चुनाव के लिए एबीपी-सी वोटर के ओपिनियन पोल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के लिए अच्छे संकेत नहीं मिल रहे हैं।
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बंगाल में सेमीफाइनल के तौर पर देखे जा रहे पंचायत चुनाव से पहले किए गए सर्वे में कम से कम 49 प्रतिशत लोगों ने दावा किया है कि वे त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली के उच्चतम स्तर यानी जिला परिषदों के कामकाज से नाखुश हैं और वहां बदलाव चाहते हैं।
वहीं, 28 प्रतिशत लोगों ने कहा कि कामकाज से नाखुश होने के बावजूद वे अभी बदलाव नहीं चाहते। महज 16 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे जिला परिषदों के कामकाज से खुश हैं, जबकि केवल सात प्रतिशत ने अनभिज्ञता का दावा किया है।
अल्पसंख्यक वोट बैंक में भी गिरावट का संकेत
ओपिनियन पोल में तृणमूल के समर्पित अल्पसंख्यक वोट बैंक में भी गिरावट का संकेत मिला है। सर्वे में 59 प्रतिशत लोगों ने सत्तारूढ़ दल के अल्पसंख्यक वोटों में गिरावट की संभावना जताई है। वहीं, केवल 28 प्रतिशत लोगों ने उस संभावना से इनकार किया है, जबकि 13 प्रतिशत लोगों ने इसपर अनभिज्ञता का दावा किया है। सर्वे के अनुसार, 25 प्रतिशत लोगों ने भ्रष्टाचार को पंचायत चुनाव में एक प्रमुख मुद्दा बताया है और वे इसे लेकर तृणमूल से नाराज हैं।
बढ़ती बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा
21 प्रतिशत लोगों को लगता है कि बढ़ती बेरोजगारी सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा होगा। वहीं, 40 प्रतिशत लोगों ने कहा है कि खराब कानून-व्यवस्था और नागरिक सुविधाओं जैसे मुद्दे पंचायत चुनाव में प्रमुख कारक होंगे। राज्य में ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस सरकार के समग्र प्रदर्शन की बात करें, तो सर्वे में 40 प्रतिशत लोगों ने इसे खराब बताया है जबकि 35 प्रतिशत ने इसे अच्छा बताया है।
16 प्रतिशत लोगों ने सरकार के प्रदर्शन को औसत बताया है जबकि नौ प्रतिशत लोगों ने इसपर अनभिज्ञता जताई है।सर्वे के अनुसार, इसके अलावा 59 प्रतिशत लोगों को लगता है कि चुनाव से पूर्व नामांकन के दौरान हुई हिंसा ने तृणमूल की छवि खराब की है, जबकि 28 प्रतिशत लोगों को ऐसा नहीं लगता है।
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