Durga Puja Special: यौन कर्मियों की संतानों ने तैयार किया पूजा पंडाल, सुंदरवन के अभावग्रस्त बच्चों ने गढ़ी दुर्गा प्रतिमा
बेमिसाल-कोरोना महामारी के दौर में कोलकाता में अनूठी दुर्गापूजा का आयोजन। कोलकाता के एक दंपती ने इन बाल प्रतिभाओं को तलाश कर उनकी कला को किया है पेश। निर्माण कोलकाता के रेड लाइट इलाके के यौन कर्मियों के बच्चों ने किया है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : वे बच्चे हैं लेकिन उनकी कला बड़े-बड़ों को दांतों तले अंगुली दबाने पर मजबूर कर रही है। वे समाज में वंचित हैं लेकिन अपनी कलाकारी से समाज में योगदान कर रहे हैं। कोरोना महामारी के इस दौर में कोलकाता में एक अनूठी दुर्गा पूजा देखने को मिल रही है, जहां पूजा पंडाल यौन कर्मियों की संतानों ने तैयार किया है तो दुर्गा प्रतिमा को सुंदरवन के अभावग्रस्त बच्चों ने गढ़ा है। कोलकाता के एक दंपती ने बंगाल के विभिन्न जिलों से इन बाल प्रतिभाओं को तलाश कर उनकी कला को दुनिया के सामने पेश किया है।
एक छोटी सी गली में दुर्गापूजा सबका ध्यान अपनी तरफ खींच रही
दक्षिण कोलकाता के रासबिहारी इलाके के परमदेव हंस रोड के पास एक छोटी सी गली में आयोजित यह दुर्गापूजा सबका ध्यान अपनी तरफ खींच रही है। सामाजिक कार्यकर्ता जयदीप मुखोपाध्याय और उनकी पत्नी सगुना मुखोपाध्याय ने इस दुर्गापूजा का आयोजन किया है।
सुंदरवन में राहत सामग्रियां पहुंचाने के दौरान बच्चों से हुई मुलाकात
चक्रवाती तूफान 'एम्फन'के समय सगुना सुंदरवन के हिंगलगंज इलाके के पास स्थित भंडारखाली में राहत सामग्रियां पहुंचाने गई थीं। वहीं उनकी कुछ बच्चों से मुलाकात हुई। उन बच्चों की चित्रकारी देखकर सगुना हैरान रह गईं।
बांकुड़ा, मथुरापुर समेत बंगाल के कई जगहों से प्रतिभाओं को तलाशा
इसके बाद मुखोपाध्याय दंपती ने दीघा, काकद्वीप, उत्तर 24 परगना से लेकर बांकुड़ा, मथुरापुर समेत बंगाल के विभिन्न जगहों से ऐसी प्रतिभाओं को तलाशा और उन्हें लेकर दुर्गापूजा के आयोजन की योजना तैयार की।
बच्चों ने भंडारखाली में ही डेढ़ फुट की दुर्गा प्रतिमा का निर्माण किया
बच्चों ने भंडारखाली में ही डेढ़ फुट की दुर्गा प्रतिमा का निर्माण किया और गत रविवार को उसे लेकर पूजा पंडाल में आ पहुंचे, जिसका निर्माण कोलकाता के रेड लाइट इलाके के यौन कर्मियों के बच्चों ने किया है।
दुर्गापूजा के जरिए बच्चों के चेहरे पर मुस्कान बिखेरने की कोशिश
-सगुना ने कहा-'कोरोना का हम सभी के जीवन पर गंभीर असर पड़ा है।कोई प्रत्यक्ष तो कोई परोक्ष तौर पर प्रभावित हुआ है, लेकिन इसने सबसे ज्यादा बाल मन पर असर डाला है इसलिए दुर्गापूजा के जरिए हमने बच्चों के चेहरे पर मुस्कान बिखेरने की कोशिश की है। पूजा के थीम से लेकर पंडाल और प्रतिमा के निर्माण तक सबकुछ बच्चों ने किया है।
गायकी का कोई प्रशिक्षण हासिल नहीं किया बल्कि गाना सीखा है
इस पूजा थीम को 'चालचित्र' नाम दिया गया है। पूजा का थीम सांग 12 साल की एक बच्ची पायल ने तैयार किया है, जो रवींद्र सदन के पास फुटपाथ पर रहती है। पायल ने गायकी का कोई प्रशिक्षण हासिल नहीं किया बल्कि दूसरों को देखकर गाना सीखा है।
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