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    केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने भी छोड़े भाजपा के सभी Whatsapp ग्रुप, कहा- पार्टी को मेरी जरूरत नहीं है

    By Vijay KumarEdited By:
    Updated: Tue, 04 Jan 2022 11:39 PM (IST)

    बंगाल भाजपा की राज्य कमेटी में मतुआ समुदाय से जुड़े नेताओं को जगह नहीं मिलने से पहले ही पार्टी के पांच विधायकों ने वाट्सएप ग्रुप छोड़ दिया था। हालांकि बाद में सब सामान्य हो गया था। अब भाजपा सांसद व मंत्री शांतनु ठाकुर ने भी वाट्सएप ग्रुप छोड़ दिया है।

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    यदि भाजपा को उनकी जरूरत नहीं है, तो उन्हें भी उनकी की जरूरत नहीं है।

    राज्य ब्यूरो, कोलकाताः बंगाल भाजपा की राज्य कमेटी में मतुआ समुदाय से जुड़े नेताओं को जगह नहीं मिलने से पहले ही पार्टी के पांच विधायकों ने आधिकारिक वाट्सएप ग्रुप छोड़ दिया था। हालांकि बाद में सब कुछ सामान्य हो गया था। अब भाजपा सांसद व केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने भी वाट्सएप ग्रुप छोड़ दिया है। शांतनु ठाकुर मतुआ महासभा के भी प्रमुख हैं और वे केंद्रीय राज्य मंत्री, बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय के राज्य मंत्री हैं। दरअसल राज्य में जिला स्तर पर कई फेरबदल किए गए हैं। इससे वह खुश नहीं हैं। वह इस बाबत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी बात करेंगे।

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    उन्होंने कहा कि यदि भाजपा को उनकी जरूरत नहीं है, तो उन्हें भी उनकी की जरूरत नहीं है। बनगांव से भाजपा सांसद शांतनु ठाकुर राज्य कमेटी में मतुआ समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं रहने से नाराज हैं। इसके अलावा बनगांव जिलाध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर भी सांसद नाराज हैं। हालांकि, शांतनु ठाकुर ने अभी तक इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है कि उन्होंने ग्रुप क्यों छोड़ा। सांसद ने कहा कि वह इस मामले पर प्रधानमंत्री चर्चा करेंगे।

    इस मुद्दे पर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने मंगलवार की सुबह कहा कि भाजपा में ग्रुप को लेकर कोई राजनीति नहीं होती है। नियुक्ति पर गुस्सा हो सकता है। हालांकि पार्टी की समस्याओं का समाधान पार्टी के भीतर ही होगा। हमारी पार्टी एक अनुशासित टीम है। पार्टी अकेले निजी फायदे के लिए काम नहीं करती है।

    कुछ दिनों पहले से भाजपा में वाट्सऐप ग्रुप छोड़ने की होड़ मच गई है। अब सांसद ने खुद वाट्सएप ग्रुप छोड़ दिया है। सूत्रों का कहना है कि शांतनु ठाकुर ने राज्य कमेटी गठन पर पुनर्विचार के लिए सात दिन का समय दिया था। उन्होंने भाजपा के अखिल भारतीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखे पत्र में यह बात कही है। उन्होंने शिकायत की थी कि जिस तरह से बंगाल में जिला समिति का गठन किया गया, उससे वह बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हैं। केंद्र सरकार में एक मंत्री के साथ वह मतुआ समुदाय के प्रतिनिधियों में से एक है, लेकिन इस कमेटी के गठन के दौरान उनसे कोई बातचीत नहीं हुई। न केवल जिलाध्यक्ष के पद पर, बल्कि समिति के विभिन्न पदों पर भी जिनका प्रतिनिधित्व मतुआ द्वारा किया जाना था, उन्हें नहीं रखा गया।

    प्रदेश भाजपा नेतृत्व भी केंद्रीय नेतृत्व से बात करेगी

    बनगांव से सांसद के वाट्सएप ग्रुप के छोड़ते ही इसको लेकर अफवाहें उड़ने लगी हैं। हालांकि,उनके केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने की संभावना नहीं है। ऐसे में वह किसी और तरीके से प्रधानमंत्री या भाजपा नेतृत्व के सामने विरोध कर सकते हैं। हालांकि अभी तक बंगाल भाजपा की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। हालांकि, सूत्रों ने कहा कि राज्य नेतृत्व इस मुद्दे पर केंद्रीय नेतृत्व के साथ अलग से चर्चा भी करेगा और बहुत कुछ इस पर निर्भर करता है कि केंद्रीय नेतृत्व इस मुद्दे पर क्या सोचता है। यदि मतुआ समुदाय का केंद्रीय नेतृत्व पर्याप्त रूप से प्रतिनिधित्व नहीं करता है, तो कुछ नए नाम जोड़े जा सकते हैं।

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