पश्चिम बंगाल से पलायन कर रही कंपनियां, दो हजार से अधिक कंपनियों ने राज्य से समेटा अपना व्यापार
पश्चिम बंगाल में पिछले पांच सालों में दो हजार से अधिक कंपनियां पलायन कर चुकी है। बताया जा रहा है कि शिफ्ट होने वाली कंपनियां मैन्युफैक्चरिंग वित्त व अन्य प्रकार की ट्रेडिंग से जुड़ी हुई है। माना जा रहा है कि राज्य में में नियामक जटिलताएं इंफ्रास्ट्रक्चर विकास की धीमी गति व पर्यावरण के अनुकूल माहौल नहीं होने से कारपोरेट कंपनियां यहां से शिफ्ट हो रही है।

राजीव कुमार, जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। तमिलनाडु, गुजरात, उत्तर प्रदेश जैसे कई राज्यों में कॉरपोरेट कंपनियों की संख्या बढ़ रही हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल में पिछले पांच सालों में दो हजार से अधिक कंपनियां पलायन कर चुकी है।
कॉरपोरेट मंत्रालय की तरफ से संसद को दी गई जानकारी के मुताबिक वर्ष 2019-24 के बीच 2227 कंपनियों ने अपने पंजीकृत कार्यालय को पश्चिम बंगाल से अन्य राज्यों में शिफ्ट कर लिया है। इनमें से 39 कंपनियां स्टाक एक्सचेंज में सूचीबद्ध बताई गई है। शिफ्ट होने वाली कंपनियां मैन्युफैक्चरिंग, वित्त व अन्य प्रकार की ट्रेडिंग से जुड़ी हुई है।
बंगाल से पलायन कर रही कंपनियां
मंत्रालय ने संसद को दी गई जानकारी में बताया है कि ये कंपनियां मुख्य रूप से प्रशासनिक, संचालन, सुविधाएं, लागत जैसी वजहों से पश्चिम बंगाल से शिफ्ट हुई है। मतलब उन्हें पश्चिम बंगाल में कारोबारी लागत अधिक लग रही थी और कहीं न कहीं संचालन भी दिक्कतें आ रही थीं।
भारतीय जनता पार्टी के आईटी सेल की तरफ से एक्स पर लिखा गया कि पश्चिम बंगाल से इतनी बड़ी संख्या में कंपनियों का किसी अन्य राज्य में शिफ्ट होना चिंता का विषय है। इससे पश्चिम बंगाल में व्यापार व रोजगार प्रभावित हो सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि पश्चिम बंगाल में नियामक जटिलताएं, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास की धीमी गति व पर्यावरण के अनुकूल माहौल नहीं होने से कारपोरेट कंपनियां यहां से शिफ्ट हो रही है। यही वजह है कि पिछले पांच सालों में विदेशी हासिल करने वाले प्रमुख राज्यों में पश्चिम बंगाल शामिल नहीं है। गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना जैसे राज्य निवेशकों की पसंद के रूप में तेजी से उभरे हैं, जबकि पश्चिम बंगाल के प्रति निवेशकों में उदासीनता आई है।
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