ZSI की खोज में मिली मकड़ी की दो नई प्रजातियां, देखते ही वैज्ञानिक भी रह गए आश्चर्यचकित
भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (जेडएसआई) ने दक्षिण भारत में जैव विविधता हॉटस्पॉट पश्चिमी क्षेत्र में दो मकड़ी प्रजातियों की खोज की है। जेडएसआई के एक बयान में कहा गया है कि नई खोजी गई प्रजातियां- मिमेटस स्पिनेटस और मिमेटस पार्वुलस इस क्षेत्र के महत्व को उजागर करती हैं। दो नई मकड़ियों के जुड़ने से भारत में मिमेटस प्रजातियों की संख्या तीन हो गई है।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (जेडएसआई) ने दक्षिण भारत में जैव विविधता हॉटस्पॉट पश्चिमी क्षेत्र में दो मकड़ी प्रजातियों की खोज की है। जेडएसआई के एक बयान में कहा गया है कि नई खोजी गई प्रजातियां- 'मिमेटस स्पिनेटस' और 'मिमेटस पार्वुलस' इस क्षेत्र के महत्व को उजागर करती हैं।
दो नई मकड़ियों के जुड़ने से भारत में मिमेटस प्रजातियों की संख्या तीन हो गई है, जिनमें से सभी को देश के दक्षिणी हिस्से से देखा गया है। इस बारे में जेडएसआई की निदेशक डॉ. धृति बनर्जी ने कहा कि पश्चिमी क्षेत्र देश की जलवायु परिस्थितियों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और वैज्ञानिकों को आश्चर्यचकित करता रहता है।
केरल के एर्नाकुलम जिले से एकत्र किया गया
यह खोज डॉ. सौविक सेन के साथ डॉ. सुधीन पीपी और डॉ. प्रदीप एम शंकरन की एक शोध टीम द्वारा की गई। मिमेटस स्पिनेटस और मिमेटस पार्वुलस को क्रमश: कर्नाटक के मूकाम्बिका वन्यजीव अभयारण्य और केरल के एर्नाकुलम जिले से एकत्र किया गया था।
उन्होंने कहा कि यह खोज निरंतर अन्वेषण और संरक्षण प्रयासों की आवश्यकता को उजागर करती है, जो दुनिया के सबसे अधिक जैव विविधता वाले हाटस्पाट में से एक है। बनर्जी ने भारत की समृद्ध जैव विविधता को संरक्षित करने में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल पश्चिमी क्षेत्र के महत्व पर जोर दिया।
क्यों महत्वपूर्ण है ये खोज?
उन्होंने कहा कि यह खोज इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारत में आखिरी मिमेटस प्रजाति पाए जाने के 118 साल बाद आई है। यह लंबा अंतराल भारत में मकडि़यों के वर्गीकरण और जैव भूगोल में अधिक व्यापक सर्वेक्षण और शोध की आवश्यकता पर जोर देता है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।