West Bengal: जन्मदिन पर कोलकाता में याद किए गए मैथिली- हिंदी के यायावर कवि यात्री नागार्जुन
नागार्जुन ने हिंदी के अतिरिक्त मैथिली संस्कृत एवं बांग्ला में मौलिक रचनाएं कीं। साथ ही संस्कृत मैथिली एवं बांग्ला से अनुवाद कार्य भी किया।उन्होंने कहा कि साहित्य के क्षेत्र में यात्री नागार्जुन के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।

जागरण संवाददाता, कोलकाता। मैथिली- हिंदी के अप्रतिम लेखक व यायावर कवि के रूप में प्रसिद्ध वैद्यनाथ मिश्र यात्री 'नागार्जुन' के जन्मदिन पर कोलकाता में मिथिला विकास परिषद ने उन्हें याद किया। उनकी याद में परिषद द्वारा कोलकाता के तारा सुंदरी पार्क में स्थापित उनकी मूर्ति के समक्ष शनिवार को श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस मौके पर बड़ी संख्या में उपस्थित परिषद के सदस्यों व मिथिला क्षेत्र के लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।कार्यक्रम की अध्यक्षता मिथिला विकास परिषद के अध्यक्ष एवं हिंदी अकादमी पश्चिम बंगाल के सदस्य अशोक झा एवं संचालन विकास झा ने किया।
कार्यक्रम के दौरान काफी संख्या मे मैथिली के कवि लेखक एवं पंडित भी उपस्थित थे। सभी ने साहित्य के क्षेत्र में नागार्जुन के योगदान को याद किया। इस मौके पर अशोक झा ने कहा कि यात्री नागार्जुन अनेक भाषाओं के ज्ञाता तथा प्रगतिशील विचारधारा के साहित्यकार थे। नागार्जुन ने हिंदी के अतिरिक्त मैथिली, संस्कृत एवं बांग्ला में मौलिक रचनाएं कीं। साथ ही संस्कृत, मैथिली एवं बांग्ला से अनुवाद कार्य भी किया।उन्होंने कहा कि साहित्य के क्षेत्र में यात्री नागार्जुन के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित नागार्जुन ने मैथिली में यात्री उपनाम से लिखा तथा यह उपनाम उनके मूल नाम वैद्यनाथ मिश्र के साथ मिलकर एकमेक हो गया।
विदित हो की वैद्यनाथ मिश्र यात्री का जन्म बिहार के मिथिला क्षेत्र के दरभंगा जिले के तरौनी गांव में 11 जून 1911 को हुआ था एवं 1998 को कार्तिक पूर्णिमा के दिन उनका निधन हो गया था। अशोक झा ने इस दौरान कहा कि यात्री नागर्जुन का कोलकाता से काफी लगाव था एवं यहां रहकर उन्होंने सोनागाछी एवं कोलकाता के ट्राम लाइन पर केंद्रित रचनाओं को लिखा था।
उन्होंने दावा किया कि यात्री नागर्जुन की याद में उनकी भारत में प्रथम मूर्ति मिथिला विकास परिषद के द्वारा कोलकाता के तारासुंदरी पार्क मे 30 दिसंबर, 2007 को स्थापित की गई थी। इस मौके पर बिनय कुमार प्रतिहस्त, जय प्रकाश मिश्रा, रूपा चौधरी, ममता झा, रघुनाथ चौधरी, विनोद झा, मदन चौधरी, कुमारी डोली ठाकुर, संतोष खेरवार, गणेश जोशी, पंडित फुलकांत झा, मनोज झा, कंचन कुमार झा, रघु नाथ झा, लखनपति झा, अशोक झा (2), रामेश्वर राय, गुणा नन्द झा आदि उपस्तिथ थे। कार्यक्रम के प्रारंभ में मिथिला के पंडितों द्वारा मिथिला समेत समस्त भारतवर्ष के कल्यानार्थ स्वस्ति वाचन का भी पाठ किया गया।
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