गंगासागर के कपिल मुनि मंदिर के समुद्र में समाने का खतरा, तट से मंदिर का फासला हुआ कम
दो साल में समुद्र का पानी 40 मीटर तक बढ़ गया समुद्र तट से मंदिर का फासलाअब 300-350 मीटर।जिस समय नए मंदिर में कपिल मुनि की मूर्ति को प्रतिष्ठापित किया गया था उस समय समुद्र से इस मंदिर की दूरी 700 मीटर थी जो वर्तमान में आधी हो गई है।

कोलकाता, विशाल श्रेष्ठ। गंगासागर स्थित कपिल मुनि मंदिर के समुद्र में समाने का खतरा साल-दर-साल बढ़ता जा रहा है। समुद्र तट से मंदिर का फासला अब महज 300-350 मीटर रह गया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक वहां हर साल समुद्र का पानी 100-200 फुट के क्षेत्रों को अपनी आगोश में लेता जा रहा है।
बंगाल का दक्षिण 24 परगना जिला, जिसके अंतर्गत गंगासागर इलाका आता है, के डीएम डा. पी उलागानाथन ने बताया-'पिछले दो साल में समुद्र का पानी 40 मीटर तक बढ़ गया है, हालांकि हालात अभी भी विकट नहीं हैं। सागर और मंदिर के बीच सुरक्षित दूरी है।'
डीएम ने आगे कहा-'इस समस्या के समाधान के लिए आइआइटी मद्रास की एक टीम ने यहां आकर दो साल अध्ययन कर डीपीआर तैयार किया है। उसे मंजूरी के लिए पर्यावरण व अन्य संबंधित विभागों के पास भेजा गया है। मंजूरी मिलते ही जिला प्रशासन पूरी तत्परता के साथ काम शुरू कर देगा। आइआइटी मद्रास ने समुद्र के अतिक्रमण को रोकने के लिए गंगासागर में मुंबई की तर्ज पर बांध के निर्माण करने का सुझाव दिया है, जो समुद्र में 30- 40 मीटर से बिल्डअप होना शुरू होगा। इसके तीन-चार लेयर होंगे। यह बहुत ही हाईटेक टेक्नोलाजी पर आधारित होगी।'
कपिल मुनि मंदिर के महंत ज्ञानदास जी महाराज के उत्तराधिकारी संजय दास ने बताया-'यह बेहद चिंताजनक स्थिति है, जिसपर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है। बंगाल सरकार के लिए अकेले इस समस्या का समाधान करना संभव नहीं है। केंद्र सरकार को इसमें सहयोग करना होगा अन्यथा आने वाले कुछ वर्षों में कपिल मुनि मंदिर समुद्र में समा जाएगा।'
मूल कपिल मुनि मंदिर पहले ही समा चुका है समुद्र में
संजय दास ने बताया- '1970 के दशक के शुरुआती वर्षों में मूल मंदिर समुद्र में समा गया था। उस मंदिर में स्थापित कपिल मुनि की मूर्ति को वर्तमान मंदिर में लाकर प्रकाश प्रतिष्ठापित किया गया था। अब इस मंदिर की तरफ भी समुद्र का पानी तेजी से बढ़ रहा है।'
स्थानीय एक बुजुर्ग ने बताया कि जिस समय नए मंदिर में कपिल मुनि की मूर्ति को प्रतिष्ठापित किया गया था, उस समय समुद्र से इस मंदिर की दूरी 700 मीटर थी, जो वर्तमान में आधी हो गई है। उच्च ज्वार के समय समुद्र का पानी मंदिर तक आ जाता है। कुछ समय पहले आए साइक्लोन 'यास' के समय समुद्र का पानी मंदिर के अंदर घुस गया था।
गौरतलब है कि हिंदुओं की आस्था के महापर्व मकर संक्रांति के समय देश-दुनिया से लाखों की तादाद में श्रद्धालु मोक्ष की कामना लिए गंगासागर आते हैं और पुण्य डुबकी लगाने के बाद कपिल मुनि मंदिर में दर्शन-पूजन करते हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।