सिंगूर जमीन विवाद: टाटा ग्रुप की बड़ी जीत, बंगाल सरकार को चुकाने होंगे 766 करोड़ रुपये
Singur Land Case सिंगूर जमीन विवाद मामले में टाटा ग्रुप की बड़ी जीत हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने टाटा के पक्ष में फैसला सुनाया है। पश्चिम बंगाल सरकार को टाटा ग्रुप को 766 करोड़ रुपये चुकाने होंगे। टाटा 11 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज के साथ 765.78 करोड़ रुपये की राशि वसूलने की हकदार है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल के बहुचर्चित सिंगूर जमीन विवाद में नैनो संयंत्र पर पूंजी निवेश के नुकसान को लेकर मुआवजे के केस में टाटा को बड़ी जीत मिली है। टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा मोटर्स लिमिटेड (टीएमएल) अब सिंगुर में परित्यक्त कार विनिर्माण संयंत्र में किए गए निवेश के नुकसान के कारण बंगाल सरकार से 766 करोड़ रुपये की राशि वसूलने की हकदार है।
टाटा ने बयान जारी कर दी जानकारी
टाटा ने सोमवार को दावा किया कि तीन सदस्यीय पंचाट न्यायाधिकरण (मध्यस्थता पैनल) ने सोमवार को मामले का निपटारा करते हुए उसके पक्ष में सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया है। टाटा ने एक बयान में कहा कि कंपनी अब प्रतिवादी पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम (डब्ल्यूबीआइडीसी) से 11 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज के साथ 765.78 करोड़ रुपये की राशि वसूलने की हकदार है। कंपनी ने बाजार नियामक को ये जानकारी दी है।
कार्यवाही के एक करोड़ रुपये भी मिलेंगे
इसमें एक सितंबर 2016 से वास्तविक वसूली तक 11 प्रति प्रति वर्ष की दर से ब्याज शामिल है। कंपनी इसके साथ ही कार्यवाही की लागत के लिए एक करोड़ रुपये भी वसूल करेगी। बयान में कहा गया है कि फैसले के बाद मध्यस्थता की कार्यवाही खत्म हो गई है।
नैनो कार कारखाना लगाने की मिली थी मंजूरी
गौरतलब है कि पूर्ववर्ती वाममोर्चा सरकार ने टाटा को सिंगूर में 'लखटकिया' नैनो कार कारखाना लगाने की अनुमति दी थी। तब ममता बनर्जी विपक्ष में थीं। ममता ने वाममोर्चा सरकार पर सिंगूर में टाटा के लिए जबरन जमीन अधिग्रहण का आरोप लगाते हुए आंदोलन का नेतृत्व किया था।
गुजरात में शिफ्ट हुआ था प्लांट
साल 2008 में आंदोलन के कारण टाटा को अपना कारखाना गुजरात के सानंद में स्थानांतरित करना पड़ा था। गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी और टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा ने इस प्लांट का उद्घाटन किया था। 2010 में टाटा ने सानंद में एक और प्लांट खोला था।
सुप्रीम कोर्ट गई गई थी टाटा
बाद में 2011 में सत्ता में आने पर ममता बनर्जी सरकार ने सिंगुर में टाटा की जमीन को किसानों को वापस लौटाने का फैसला किया था। इसके बाद टाटा मोटर्स ने सिंगुर में हुए नुकसान के कारण मुआवजे की मांग को लेकर यह मामला किया था। टाटा उस वक्त सिंगूर में एक हजार करोड़ रुपये लगा चुका था। टाटा मोटर्स ने साल 2011 में ममता सरकार के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसके जरिए कंपनी से अधिगृहित जमीन छीन ली गई थी।
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