...तब तक मुस्लिम महिलाओं को आजादी नहीं मिलेगी : तसलीमा
तसलीमा ने कहा तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला मुसलिम लॉ बोर्ड के गाल पर तमाचा हो सकता लेकिन इससे मुस्लिम महिलाओं को आजादी नहीं नसीब होगी।
कोलकाता, [जेएनएन]। जब तक समानता पर आधारित एकरूप नागरिक संहिता (यूनीफार्म सिविल कोड) को लागू नहीं किया जाएगा, तब तक मुस्लिम महिलाओं को आजादी नहीं मिलेगी। तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बांग्लादेश की विवादास्पद लेखिका तसलीमा नसरीन ने इसी तरह प्रतिक्रिया जाहिर की।
उन्होंने कहा-'तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला मुसलिम लॉ बोर्ड के गाल पर तमाचा हो सकता है लेकिन इससे मुस्लिम महिलाओं को आजादी नहीं नसीब होगी।' मुस्लिम लॉ बोर्ड की आलोचना करते हुए तसलीमा ने कहा-'सिर्फ धर्म के आधार पर कानून तैयार नहीं किए जा सकते। एक आधुनिक देश में धर्म पर आधारित कानून का वजूद नहीं होना चाहिए। नियमों को मानवाधिकारों को ध्यान में रखकर समानता एवं इंसाफ के आधार पर लागू किया जाना चाहिए। कानून एकरूप होना चाहिए। इसमें किसी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए।
महिलाओं को शिक्षित कर स्वतंत्र बनाया जाना चाहिए।' तसलीमा ने आगे कहा-'मैं इस बात को लेकर आश्चर्यचकित हूं कि भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष एवं लोकतांत्रिक देश में तीन तलाक अब तक वजूद में क्यों था। यह सिर्फ इस दिशा में पहला कदम है और यह इतना धीमा नहीं होना चाहिए था। लोकतंत्र में पुरूषों एवं महिलाओं के लिए समान अधिकार होने चाहिए।'