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    कोलकाता में वरिष्ठ नागरिकों के संगठन ने सीएम को लिखा पत्र, नए साल के जश्न में पटाखों पर लगाम लगाने का अनुरोध

    By Jagran NewsEdited By: Piyush Kumar
    Updated: Wed, 28 Dec 2022 07:31 PM (IST)

    कोलकाता महानगर में वरिष्ठ नागरिकों के साथ-साथ पर्यावरणविदों का मानना है कि आने वाले वीकेंड में वायु और ध्वनि प्रदूषण के सबसे खराब स्तर पर पहुंचने की संभवाना है क्योंकि लोग नए साल का जश्न पटाखे जलाकर मानते हैं।

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    कोलकाता में वरिष्ठ नागरिकों के संगठन ने सीएम ममता बनर्जी को लिखा पत्र

    कोलकाता, राज्य ब्यूरो: लोग नए साल के जश्न की तैयारियां शुरू कर दी है। शहरों में होटल के द्वारा पास भी मिलना शुरू हो गया है। लोग नए साल के जश्न में आतिशबाजी भी खुब करते हैं। इस आतिशबाजी के कारण ध्वनि और वायु प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है। कोलकाता महानगर में वरिष्ठ नागरिकों के साथ-साथ पर्यावरणविदों का मानना है कि आने वाले वीकेंड में वायु और ध्वनि प्रदूषण के सबसे खराब स्तर पर पहुंचने की संभवाना है क्योंकि लोग नए साल का जश्न पटाखे जलाकर मानते हैं।

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    सबुज मंच संगठन का CM को पत्र

    इसे ध्यान में रखते हुए शहर में वरिष्ठ नागरिकों के सबुज मंच नामक एक संगठन के माध्यम से पहले ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र भेजकर आग्रह किया है कि वे अधिकारियों को तेज आवाज वाले पटाखे जलाने से लोगों को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दें। पिछले कुछ वर्षों से नए साल की पूर्व संध्या पर तेज आवाज वाले पटाखे जलाने का चलन काफी बढ़ गया है। इस तरह के पटाखों से छोटे बच्चे और वरिष्ठ नागरिकों को काफी परेशानी होती है।

    प्रशासन पर विफलता का आरोप

    संगठन द्वारा लिखे गए पत्र में यह भी आरोप लगाया गया है कि राज्य प्रशासन हाई कोर्ट द्वारा उत्सव काल में तय डेसिबल से अधिक आवाज वाले पटाखे जलाने से रोकने के नियमों को लागू करने में नाकाम रहा है है। जिस कारण वरिष्ठ नागरिकों के साथ-साथ हृदय व श्वास की बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए जबरदस्त समस्याएं पैदा हो रही है।

    वायु और ध्वनि प्रदूषण के मुद्दे पर पत्र

    शहर में वायु और ध्वनि प्रदूषण के मुद्दे पर साल भर से लंबी लड़ाई लड़ रहे पर्यावरणविद् और ग्रीन टेक्नोलाजिस्ट सोमेंद्र मोहन घोष का कहना है कि पटाखे फोड़ने की समस्या के अलावा बीते कुछ सालों के दौरान कुछ अतिरिक्त दर्द का भी सामना करना पड़ा रहा है। उनका कहना है कि साल के इस समय के दौरान डीजे और साउंडबाक्स का उपयोग करते हुए विभिन्न बहु-मंजिला इमारतों में छतों पर पार्टियां होती हैं। ये पार्टियां देर रात तक और कभी-कभी सुबह तक चलती रहती हैं, जिसकी वजह से आस पास के रहने वाले लोगों को काफी परेशानी होती है।

    रात 10 बजे तक ही हो पार्टी

    वहीं क्रिसमस की पूर्व संध्या से शुरू होने वाले साल के अंत में विभिन्न क्लब और एसोसिएशन ओपन-एयर म्यूजिक कंसर्ट आयोजित करते हैं जो आधी रात तक और कभी-कभी उसके बाद तक भी जारी रहते हैं। उनका कहना है कि रात 10 बजे तक के लिए समय सीमा तय की गई है लेकिन उसका कोई पालन नहीं करता है। घोष ने दावा किया कि पुलिस प्रशासन भी कोई कार्रवाई नहीं करता है। पर्यावरणविदों के लिए चिंता का एक अन्य कारण इस वीकेंड के अंत में अलीपुर जूलाजिकल गार्डन में भारी भीड़ की उम्मीद है।

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