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    आरजी कर कांड: 'पोस्टमार्टम के समय वीडियो बना रहे थे लोग', सीएसएफएल की रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे

    Updated: Fri, 27 Dec 2024 09:17 PM (IST)

    RG Kar case कोलकाता के आरजी कर कांड में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म एवं जघन्य हत्याकांड मामले में सीएफएसएल ने अपनी रिपोर्ट जारी की है जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं। सीएफएसएल ने बताया कि पीड़िता के शव के पोस्टमार्टम के समय मानक प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया और गोपनीयता का भी ध्यान नहीं रखा गया।

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    सीएसएफएल रिपोर्ट में पोस्टमार्टम को लेकर कई खुलासे किए गए हैं। (File Image)

    राज्य ब्यूरो, कोलकाता। महानगर के सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में प्रशिक्षु महिला डॉक्टर के साथ हुए जघन्य दुष्कर्म और हत्या के मामले में केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) की रिपोर्ट, जो इस सप्ताह की शुरुआत में सामने आई, में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि पीड़िता के शव के पोस्टमार्टम की प्रक्रिया की गोपनीयता से पूरी तरह समझौता किया गया और उस प्रक्रिया के दौरान मानक प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया।

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    सीएसएफएल रिपोर्ट में उल्लेखित सातवें बिंदु में कहा गया है कि पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी के अवलोकन पर यह पाया गया है कि शव परीक्षण कक्ष के अंदर कई व्यक्ति मौजूद थे और उनमें से कुछ अपने निजी मोबाइल से तस्वीरें और वीडियो बना रहे थे, जो मामले की गोपनीयता और मृतक की गरिमा को बनाए रखने के लिए मानक और स्वीकृत प्रोटोकॉल व अभ्यास के खिलाफ है।

    मृत्यु की घोषणा के लिए तैयार की गई थी चोट रिपोर्ट: सीएसएफएल

    सीएसएफएल रिपोर्ट में कहा गया है कि मृतक की चोट रिपोर्ट मूल रूप से मृत्यु की घोषणा (यानी मृत अवस्था में लाया जाना) के लिए तैयार की गई थी, क्योंकि इसमें चोटों से संबंधित किसी विस्तृत जांच निष्कर्ष का उल्लेख नहीं है। चोट प्रमाण पत्र तैयार करने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट के अवलोकन से पता चलता है कि अधिकांश निष्कर्ष पीएम रिपोर्ट के अनुरूप थे।

    सीएफएसएल में अनुसंधान का भी दिया गया है सुझाव

    सीएफएसएल ने यह सुनिश्चित करने के लिए आगे अनुसंधान का सुझाव दिया है कि दुष्कर्म और हत्या का अपराध एक व्यक्ति द्वारा किया गया था या अपराध में और भी भागीदार थे। रिपोर्ट के अनुसार, केवल एक व्यक्ति की संलिप्तता की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है। समान मामलों में विशेषज्ञों द्वारा विभिन्न पिछली वैज्ञानिक रिपोर्टों के आधार पर आगे अनुसंधान इस निष्कर्ष पर पहुंचा सकता है कि अपराध में एक से अधिक व्यक्ति शामिल था या नहीं।

    अब तक सीबीआई ने इस मामले में केवल एक आरोप पत्र दायर किया है, जिसमें सिविक वालंटियर संजय राय को दुष्कर्म और हत्या के अपराध में एकमात्र मुख्य आरोपित के रूप में पहचाना गया है। गौरतलब है कि इस साल नौ अगस्त की सुबह, पीड़िता का शव आरजी कर मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हाल में मिला था। तदनुसार, पहले कोलकाता पुलिस और उसके बाद सीबीआई ने सेमिनार हाल को "अपराध का दृश्य" मानते हुए जांच की।

    हाथापाई के स्पष्ट संकेत नहीं

    हालांकि, सीएफएसएल की रिपोर्ट, जो सीबीआई को सौंपी गई थी, में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि सेमिनार कक्ष के भीतर हाथापाई का कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिला है। साथ ही, सीएफएसएल रिपोर्ट ने यह भी कहा गया है कि पीड़िता के शरीर पर जो घाव थे, उनमें से अधिकांश दुष्कर्म का विरोध करने के उसके प्रयासों का परिणाम थे।