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    सेना ने दिखाया बड़ा दिल, कोलकाता के रेड रोड पर नमाज के चलते बदला अपना प्रशिक्षण कार्यक्रम

    Updated: Tue, 03 Jun 2025 11:02 PM (IST)

    राजीव कुमार झा की रिपोर्ट के अनुसार सेना ने कोलकाता के रेड रोड पर 7 जून को ईद-उल-अजहा की नमाज अदा करने की अनुमति दे दी है। दशकों से चली आ रही इस परंपरा का सम्मान करते हुए सेना ने अपने प्रशिक्षण कार्यक्रम में बदलाव किया है। हालांकि कुछ हिंदू संगठनों के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया था।

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    कोलकाता के रेड रोड पर आगामी सात जून को इस साल भी ईद-उल-अजहा (बकरीद) की नमाज अदा की जाएगी।(फाइल फोटो)

    राजीव कुमार झा, कोलकाता। सेना की अनुमति के बाद कोलकाता के ऐतिहासिक रेड रोड पर आगामी सात जून को इस साल भी ईद-उल-अजहा (बकरीद) की नमाज अदा की जाएगी।

    दशकों पुरानी इस परंपरा का सम्मान करते हुए और सभी धर्मों का सम्मान करने की अपनी रीति के मुताबिक भारतीय सेना के पूर्वी कमान ने बड़ा दिल दिखाते हुए नमाज की अनुमति देने का फैसला किया है और इसके चलते उसे अपने महत्वपूर्ण सैन्य प्रशिक्षण कार्यक्रम में बदलाव करना पड़ा है। सेना सूत्रों के अनुसार, प्रस्तावित प्रशिक्षण कार्यक्रम को दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिया है।

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    रेड रोड, जो विजय दुर्ग (पूर्व नाम फोर्ट विलियम) स्थित पूर्वी कमान मुख्यालय के समीप स्थित एक संवेदनशील रक्षा संपत्ति है, वहां हर साल ईद के मौके पर हजारों लोग एक साथ नमाज अदा करते हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी इस अवसर पर वहां मौजूद रहती हैं। भले ही ईद की नमाज मजहबी मंच है, लेकिन इसका इस्तेमाल जमकर राजनीतिक बयान बाजी के लिए भी होता है।

    कुछ महीने पहले इसी स्थान पर कुछ हिंदू संगठनों ने भी धार्मिक आयोजन की अनुमति मांगी थी, जिसे सेना और अदालत दोनों ने अस्वीकार कर दिया था। लेकिन वर्षों से वहां ईद की नमाज को देखते हुए सेना ने परंपरा का सम्मान करते हुए अपना प्रशिक्षण कार्यक्रम दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिया है।

    मालूम हो कि आपरेशन सिंदूर के बाद मौजूद परिस्थिति के मद्देनजर अपनी तैयारियों को मजबूत करने के उद्देश्य से बीते 31 मई को सेना की पूर्वी कमान ने कलकत्ता खिलाफत समिति को सूचित किया था कि सैन्य प्रशिक्षण के कारण रेड रोड पर इस बार नमाज अदा करने की अनुमति संभव नहीं है।

    यह जानने के बाद राज्य में अल्पसंख्यक समुदाय के एक वर्ग ने रोष व्यक्त किया था। राज्य के मंत्री और खिलाफत समिति के अध्यक्ष जावेद अहमद खान ने मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की थी, जिसके बाद नमाज की अनुमति के लिए राज्य सचिवालय ने पूर्वी कमान से संपर्क किया। दो दिनों के गतिरोध के बाद आखिरकार सेना ने अपना प्रशिक्षण कार्यक्रम बदलकर नमाज की सोमवार को अनुमति दे दी।

    एक सूत्र ने बताया कि भारतीय सेना सभी धर्मों के प्रति सम्मान की अपनी परंपरा के अनुरूप काम करती है। रेड रोड पर नमाज की अनुमति इसी परंपरा के तहत दी गई है, लेकिन यह समझना जरूरी है कि यह स्थान एक अत्यंत महत्वपूर्ण रणनीतिक क्षेत्र है, जहां सेना की गतिविधियां देश की सुरक्षा से जुड़ी होती हैं।

    सैन्य प्रशिक्षण अत्यंत आवश्यक

    दरअसल, इस समय सेना आपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के साथ जारी तनातनी और देश के पूर्वोत्तर हिस्से में चीन व बांग्लादेश की मिलीभगत से उत्पन्न चुनौतियों से भी सतर्क है। रक्षा सूत्रों के अनुसार, ऐसे में किसी भी चुनौती का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए सैन्य प्रशिक्षण अत्यंत आवश्यक है और उसकी जगह को किसी अन्य आयोजन के लिए इस्तेमाल करना, ऐसे गंभीर समय में सेना की गतिविधियों में बाधा उत्पन्न करने की तरह है।

    सुरक्षा को दी जानी चाहिए प्राथमिकता

    चाहे वह नमाज हो या कोई और आयोजन, उसे किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित किया जा सकता है, लेकिन सेना की ट्रेनिंग अपने ही निर्धारित स्थान पर हो सकती है। इसके अलावा हाल में कोलकाता में पूर्वी कमान मुख्यालय व इसके आसपास महत्वपूर्ण स्थानों के ऊपर कई संदिग्ध ड्रोन देखे गए हैं, जो सुरक्षा के लिहाज से गंभीर चिंता का विषय हैं।

    एक वरिष्ठ रक्षा विशेषज्ञ ने यह स्पष्ट किया कि देश की सुरक्षा और सेना की तैयारियों को हर भारतीय नागरिक को प्राथमिकता देनी चाहिए, जो नैतिक कर्तव्य है।

    रेड रोड और आसपास का क्षेत्र सेना का इलाका है और उसका उपयोग मिलिट्री कार्यों के लिए ही होना चाहिए। रेड रोड पर नमाज की अनुमति के सेना के इस कदम को एक सकारात्मक संदेश के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें परंपरा का सम्मान और राष्ट्रीय सुरक्षा दोनों के बीच संतुलन स्थापित किया गया है।