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Rameswaram Cafe Blast: नेपाल भागने की फिराक में थे आतंकी, अल हिंद की ओर से मिला था आदेश

बेंगलुरु के रामेश्वरम कैफे विस्फोट कांड के आरोपित आतंकी मुजम्मिल शरीफ की गिरफ्तारी के बाद आकाओं ने आतंकियों मुसव्विर हुसैन शाजिब और अब्दुल मथीन अहमद ताहा को बंगाल छोड़ने का निर्देश दिया था। रामेश्वरम कैफे विस्फोट में 10 लोग जख्मी हो गए थे।दोनों आइएस के माड्यूल अल हिंद के सदस्य हैं। मुजम्मिल शरीफ कोलकाता आया था और अपने साथियों को यहां रहने के लिए रुपये देकर चेन्नई लौट गया था।

By Jagran News Edited By: Nidhi Avinash Published: Mon, 15 Apr 2024 07:51 PM (IST)Updated: Mon, 15 Apr 2024 07:51 PM (IST)
Rameswaram Cafe Blast: नेपाल भागने की फिराक में थे आतंकी (Image: ANI)

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बेंगलुरु के रामेश्वरम कैफे विस्फोट कांड के आरोपित आतंकी मुजम्मिल शरीफ की गिरफ्तारी के बाद आकाओं ने आतंकियों मुसव्विर हुसैन शाजिब और अब्दुल मथीन अहमद ताहा को बंगाल छोड़ने का निर्देश दिया था।

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एनआइए सूत्रों के मुताबिक दोनों आतंकी बांग्लादेश अथवा विकल्प के तौर पर दार्जलिंग होते हुए नेपाल भागने की फिराक में थे, लेकिन इसके पहले ही उन्हें पकड़ लिया गया।

1 मार्च को हुआ था विस्फोट

बता दें कि एक मार्च को हुए रामेश्वरम कैफे विस्फोट में 10 लोग जख्मी हो गए थे। दोनों आइएस के माड्यूल अल हिंद के सदस्य हैं। मुजम्मिल शरीफ कोलकाता आया था और अपने साथियों को यहां रहने के लिए रुपये देकर चेन्नई लौट गया था। इसके बाद ही 28 मार्च को उसे गिरफ्तार कर लिया गया। उससे पूछताछ में ही कोलकाता में छिपे दोनों आतंकियों के बारे में पता चला था। इस दौरान ये कोलकाता के विभिन्न होटलों में पहचान बदल कर रह रहे थे।

नेपाल भागने की फिराक में थे आरोपी

एनआइए सूत्रों के मुताबिक, अल हिंद की ओर से कोलकाता छोड़ने का आदेश मिलने के बाद वे सबसे पहले हावड़ा गए। हालांकि, वे आसानी से कोलकाता के धर्मतल्ला से दीघा के लिए बस पकड़ सकते थे (जहां से उन्हें गिरफ्तार किया गया) लेकिन उन्होंने हावड़ा को चुना। इसके बाद वे बांग्लादेश अथवा विकल्प के तौर पर दार्जिलिंग होते हुए नेपाल भागने की फिराक में थे।

एनआइए यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि उन्हें बंगाल में छिपने में किसने मदद की। एक जांचकर्ता ने बताया कि रांची में एक व्यक्ति ने दोनों को पैसे और मोबाइल सिम दिए थे। ताहा और शाजिब ने कोलकाता में रहने के दौरान फोन का इस्तेमाल नहीं किया। उन्होंने पहला फोन रांची जाने के दौरान पुरुलिया में इस्तेमाल किया था।

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