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    दक्षिणेश्वर काली मंदिर के खातों की जांच ईडी से कराने की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर

    By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh Rajput
    Updated: Wed, 09 Nov 2022 11:28 PM (IST)

    याचिकाकर्ताओं ने ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसी या किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली न्यायिक समिति द्वारा मामले की स्वतंत्र जांच की अपील की है। याचिका स्वीकार कर ली गई है और जल्द ही सुनवाई के लिए आएगी। प्रसिद्ध परोपकारी रानी रासमोनी ने 1848 में मंदिर का निर्माण शुरू किया था।

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    पुजारियों और भक्तों ने मंदिर ट्रस्ट के खातों और संपत्ति के रखरखाव में घोर अनियमितता का आरोप लगाया है

    कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल के प्रतिष्ठित दक्षिणेश्वर काली मंदिर के खातों की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से कराने की मांग को लेकर कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआइएल) दायर की गई है। मंदिर के पुजारियों और भक्तों ने मंदिर ट्रस्ट के खातों और संपत्ति के रखरखाव में घोर अनियमितता का आरोप लगाया है। याचिका में उन्होंने आरोप लगाया है कि इस वर्ष काली पूजा के अवसर पर मंदिर के अधिकारियों ने बड़ी संख्या में गहने और साड़ियों को दान करने का कोई रिकार्ड नहीं रखा है।

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    ट्रस्टी बोर्ड के पदाधिकारियों के लिए किया गया चुनाव

    शिष्यों द्वारा यह भी आरोप लगाया गया है कि मंदिर के अधिकारियों ने पिछले कुछ वर्षों में बंगाल सरकार से प्राप्त 130 करोड़ रुपये और केंद्र सरकार से विभिन्न मदों के तहत 20 करोड़ रुपये का उचित लेखा-जोखा नहीं रखा है। मंदिर के ट्रस्ट के अधिकारियों ने मंदिर परिसर के भीतर दुकान-मालिकों को स्थान आवंटित करने के साथ-साथ ट्रस्टी बोर्ड के पदाधिकारियों के लिए चुनाव किया, जो अदालत के निर्देश के 20 साल बाद हुआ।

    न्यायिक समिति द्वारा मामले की स्वतंत्र जांच की अपील

    याचिकाकर्ताओं ने ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसी या किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली न्यायिक समिति द्वारा मामले की स्वतंत्र जांच की अपील की है। याचिका स्वीकार कर ली गई है और जल्द ही सुनवाई के लिए आएगी। प्रसिद्ध परोपकारी रानी रासमोनी ने 1848 में मंदिर का निर्माण शुरू किया था, जो 1856 में पूरा हुआ था। गदाधर चट्टोपाध्याय, जो बाद में रामकृष्ण परमहंस के रूप में विश्व स्तर पर प्रशंसित थे, को पुजारी के रूप में नियुक्त किया गया था।

    प्रारंभ में, रामकृष्ण अपने बड़े भाई रामकुमार चट्टोपाध्याय की सहायता करते थे, जो उस समय मंदिर के मुख्य पुजारी थे। लेकिन बाद में अपने बड़े भाई की मृत्यु के बाद रामकृष्ण ने मुख्य पुजारी के रूप में पदभार संभाला। कहा जाता है कि रानी रासमोनी ने अपने सपनों में देवी काली के दिव्य दर्शन के बाद मंदिर का निर्माण शुरू किया था।

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