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    West Bengal: महिला कैदियों की सुरक्षा के लिए समिति में शामिल की जाएं महिला अधिकारी: सुप्रीम कोर्ट

    Updated: Sat, 17 Feb 2024 05:00 AM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बंगाल के प्रत्येक जिले में महिला कैदियों की सुरक्षा और स्थिति को देखने वाली मौजूदा समिति में एक महिला न्यायिक अधिकारी को शामिल करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने एक मामले में यह निर्देश दिया। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि समिति में जहां भी संभव हो महिला जेलों के अधीक्षकों को भी शामिल किया जाना चाहिए।

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    महिला कैदियों की सुरक्षा के लिए समिति में शामिल की जाएं महिला अधिकारी: सुप्रीम कोर्ट। प्रतीकात्मक फोटो।

    राज्य ब्यूरो, कोलकाता। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बंगाल के प्रत्येक जिले में महिला कैदियों की सुरक्षा और स्थिति को देखने वाली मौजूदा समिति में एक महिला न्यायिक अधिकारी को शामिल करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने एक मामले में यह निर्देश दिया। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि समिति में जहां भी संभव हो महिला जेलों के अधीक्षकों को भी शामिल किया जाना चाहिए।

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    महिलाओं के गर्भवती होने के आरोपों पर कोर्ट ने लिया संज्ञान

    अदालत ने कहा कि प्रत्येक जिले की जेलों और बैरकों में उपलब्ध सुरक्षा और स्वच्छता उपायों, स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे और महिला कैदियों के कल्याण का निष्पक्ष मूल्यांकन करने के लिए जिले की एक वरिष्ठ महिला न्यायिक अधिकारी को समिति में शामिल किया जा सकता है। हाल में सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल की जेलों में महिलाओं के गर्भवती होने के आरोपों पर संज्ञान लिया है।

    पिछले चार वर्षों में जेलों में हुआ 62 बच्चों का जन्म

    न्याय मित्र (एमिकस क्यूरी) और वरिष्ठ वकील गौरव अग्रवाल ने हाल ही में बंगाल की जेलों में महिलाओं के गर्भवती होने से संबंधित मामले में एक हलफनामा दायर किया है। उन्होंने बताया था कि पिछले चार वर्षों में बंगाल की जेलों में लगभग 62 बच्चों का जन्म हुआ और अधिकांश महिला कैदी उस समय पहले से ही गर्भवती थीं, जब उन्हें जेलों में लाया गया था, जबकि कुछ मामलों में महिला कैदी पैरोल पर घर गई थीं।

    न्याय मित्र ने इन राज्यों के जेलों का दिया हवाला

    न्याय मित्र ने जेल सुधार के लिए विभिन्न उपायों की भी सिफारिश की है। न्याय मित्र ने शीर्ष अदालत को राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के जेल अधिकारियों के साथ अपनी चर्चा के बारे में भी अवगत कराया, जिसमें उन्हें पता चला कि महिला जेलों में केवल महिला अधिकारी हैं और केवल द्वार पर कुछ पुरुष कर्मी तैनात हैं। हालांकि किसी भी पुरुष को इन महिला जेलों के अंदर तब तक जाने की अनुमति नहीं है जब तक कि आवश्यकता न हो।