कोलकाता एयरपोर्ट से 42585 करोड़ के रेडियोएक्टिव पदार्थ समेत दो दबोचे, जानें क्या होता है कैलिफोर्नियम, कहां-कहां इस्तेमाल
महानगर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराराष्ट्रीय हवाई अड्डे से भारी मात्रा में रेडियोएक्टिव पदार्थ कैलिफोर्नियम के साथ दो लोगों को सीआइडी ने गिरफ्तार किया है। जब्त रेडियोएक्टिव पदार्थ कैलिफोर्नियम की कीमत 42585 करोड़ रुपये होने की बात कही गई है।

राज्य ब्यूरो, कोलकाताः महानगर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराराष्ट्रीय हवाई अड्डे के निकट से भारी मात्रा में रेडियोएक्टिव पदार्थ कैलिफोर्नियम के साथ दो लोगों को सीआइडी ने गिरफ्तार किया है। जब्त रेडियोएक्टिव पदार्थ कैलिफोर्नियम की कीमत 42585 करोड़ रुपये होने की बात कही गई है। गुरुवार को सीआइडी ने एक विश्वसनीय सूचना के आधार पर एयरपोर्ट इलाके में निगरानी रखी और हुगली जिले के सिंगुर इलाके के रहने वाले शैलेन कर्मकार (41 वर्ष) तथा इसी जिले के रहने वाले असित घोष (49 वर्ष) को हिरासत में ले लिया।
उनके सामानों की तलाशी ली गई तो दोनों के पास से छाई रंग वाले पत्थर जैसे पदार्थ के चार टुकड़े मिले, जिनका वजन लगभग 250.5 ग्राम था, जो अंधेरे में काफी चमक रहा था। उस देखकर ऐसा लग रहा था कि अंदर कुछ चमकता हुई वस्तु है। जब उसकी प्राथमिक जांच की गई तो इसे कैलिफोर्नियम होने का दावा किया गया। कैलिफोर्नियम की कीमत भारतीय मुद्रा में 170 करोड़ रुपये प्रति ग्राम है।
देश में आम आदमी रेडियोएक्टिव कैलिफोर्नियम की खरीद-फरोख्त नहीं कर सकता है। काफी महंगा यह रेडियोएक्टिव पदार्थ सिर्फ लाइसेंसधारी ही बेच सकते हैं। देश में मुंबई स्थित भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर से ही कैलिफोर्नियम मिलता है। रेडियो एक्टिव पदार्थ कैलिफोर्नियम सिंथेटिक होता है। कैलिफोर्नियम की दुर्लभता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि विश्व में इसका बहुत कम उत्पदान होता है। दोनों को कैलिफोर्नियम कहां से मिला और इसे कोलकाता लाने के पीछे उनका उद्देश्य क्या है, इसकी पूरी जांच की जा रही है। साथ ही कैलिफोर्नियम की जांच में विशेषज्ञों की मदद लेने की बात सीआइडी की ओर से कही गई है।
कैलिफोर्नियम प्रकृति में नहीं मिलता
कैलिफोर्नियम प्रकृति में नहीं मिलता। 1950 में अमेरिका की एक लैब में इसे सिंथेसाइज किया गया था। यह उन ट्रांसयूरेनियम एमिलमेंट्स में से एक है जिन्हें इतनी मात्रा में बनाया गया है कि उन्हें खुली आंखों से देखा जा सके। यह चांदी के रंग जैसी धातु होती है जो करीब 900 डिग्री सेल्सियस पर पिघलती है। अपने प्योर रूप में यह धातु इतनी मुलायम होती है कि उसे आसानी से ब्लेड से काटा जा सकता है। रूम टेम्प्रेचर पर यह कठोर अवस्था में रहती है।
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औद्योगिक व चिकित्सा क्षेत्र में कैलिफोर्नियम का होता है इस्तेमाल
सोने और चांदी की खदानों की पहचान में कैलिफोर्नियम इस्तेमाल होता है। न्यूक्लियर रिएक्टर को स्टार्ट करने में भी कैलिफोर्नियम मदद करता है। कैंसर के उपचार और इंडस्ट्रियल फील्ड में भी काम में आता है। मेडिकल फील्ड में इसका इस्तेमाल कैंसर मरीजों और एक्स-रे मशीनों में होता है। इंडस्ट्रियल फील्ड में तेल के कुओं में पानी और तेल की लेयर का पता लगाने, गोल्ड और सिल्वर के डिटेक्शन के अलावा पोर्टेबल मेटल डिटेक्टर में इसका इस्तेमाल किया जाता है। कैलिफोर्नियम एक खतरनाक रेडियोएक्टिव मेटल है जो इंसानों के साथ ही पशु-पक्षियों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। इसके संपर्क में आने से कैंसर हो सकता है। कैलिफोर्नियम इंसानी शरीर में जहरीले भोजन या ड्रिंक के जरिए प्रवेश कर सकता है। इसके अलावा रेडियोएक्टिव हवा में सांस लेने पर इसके कुछ कण भीतर जा सकते हैं, जो जानलेवा हो सकता है।

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