Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Durga Puja: कोलकाता के मोहम्मद अली पार्क में दो साल बाद फिर से दुर्गापूजा के आयोजन की अनुमति

    कोलकाता के सबसे बड़े सबसे पुराने व सबसे भव्य दुर्गापूजा में से एक। कोरोना महामारी से पहले तक हर साल यहां लाखों की तादाद में भीड़ उमड़ती थी। पंडाल व प्रतिमा के दर्शन करने के लिए दर्शनार्थियों को घंटों कतार में खडा़ रहना पड़ता था।

    By Priti JhaEdited By: Updated: Tue, 10 Aug 2021 02:50 PM (IST)
    Hero Image
    मोहम्मद अली पार्क में दो साल बाद फिर से दुर्गापूजा के आयोजन की अनुमति दी गई है

    राज्य ब्यूरो, कोलकाता। मोहम्मद अली पार्क में दो साल बाद फिर से दुर्गापूजा के आयोजन की अनुमति दी गई है, हालांकि पूजा पार्क के अंदर अपने पहले वाली जगह पर नहीं बल्कि पार्क के चित्तरंजन एवेन्यू की तरफ वाले मुख्य गेट पर होगी। मोहम्मद अली पार्क पूजा आयोजन समिति के संयुक्त सचिव अशोक ओझा ने इसकी जानकारी देते हुए बताया-'मोहम्मद अली पार्क में स्थित वाटर रिजरवायर की दीवार के क्षतिग्रस्त होने के कारण पिछले दो साल से दुर्गापूजा का आयोजन पास स्थित फायर ब्रिगेड परिसर में किया जा रहा था लेकिन इस साल हमें मोहम्मद अली पार्क के प्रवेश द्वार पर पूजा की अनुमति दी गई है। यह एक तरह से अच्छा भी है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दर्शनार्थियों को कोरोना के इस दौर में पार्क के अंदर आने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वे बाहर से ही प्रतिमा के दर्शन कर पाएंगे। इस बाबत खुले पंडाल का निर्माण किया जा रहा है।' ओझा ने आगे कहा-'इस बार भी हमारी पूजा का स्वरूप कोरोना महामारी के कारण अपेक्षाकृत छोटा होगा। पूजा का बजट भी काफी कम किया गया है। हमारा पूजा फंड संग्रह मुख्य रूप से विज्ञापनों से होता है। पिछली बार हमारे विज्ञापनों में 80 फीसद की कमी दर्ज हुई थी। इस बार भी विज्ञापन की स्थिति बहुत खराब है।' अशोक ओझा ने बताया-''हम इस बार थीम पर काम कर रहे हैं, हालांकि हम अभी इसका खुलासा नहीं करना चाहते। समय आने पर सबको इसका पता चल जाएगा।'

    गौरतलब है कि मोहम्मद अली पार्क की दुर्गापूजा कोलकाता के सबसे बड़े, सबसे पुराने व सबसे भव्य दुर्गापूजा में से एक है। कोरोना महामारी से पहले तक हर साल यहां लाखों की तादाद में भीड़ उमड़ती थी। पंडाल व प्रतिमा के दर्शन करने के लिए दर्शनार्थियों को घंटों कतार में खडा़ रहना पड़ता था।