'संसद की विशेषाधिकार समिति को तुरंत इसपर कार्रवाई करनी चाहिए', महुआ मोइत्रा पर रिश्वतखोरी के आरोप को लेकर बोले सुवेंदु अधिकारी
Kolkata News TMC सांसद महुआ मोइत्रा पर रिश्वतखोरी के आरोप को लेकर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखे जाने पर प.बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा निशिकांत दुबे ने जो आरोप लगाया है वह गंभीर आरोप है। संसद की विशेषाधिकार समिति को तुरंत इसपर कार्रवाई करनी चाहिए।

एएनआई, कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा पर पैसे लेकर सवाल पूछने का आरोप लगा है।महुआ मोइत्रा पर रिश्वतखोरी के आरोप को लेकर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखे जाने पर प.बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदू अधिकारी ने कहा, "निशिकांत दुबे ने जो आरोप लगाया है वह गंभीर आरोप है। संसद की विशेषाधिकार समिति को तुरंत इसपर कार्रवाई करनी चाहिए।"
बीते कुछ सालों में महुआ मोइत्रा ने अपने आक्रामक लहजे के कारण फायरब्रैंड नेता की छवि बनाई थी। रविवार को भाजपा सदस्य निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर सीधा आरोप लगाया कि महुआ ने अब तक सदन में 61 सवाल पूछे हैं, जिसमें से 50 उक्त उद्योगपति के कारोबार से जुड़ा रहा है।
#WATCH | Kolkata: On BJP MP Nishikant Dubey's letter to Lok Sabha Speaker over allegations of bribery against TMC MP Mahua Moitra, West Bengal LoP and BJP leader Suvendu Adhikari say, "...The allegations are serious... The privilege committee should do an immediate investigation… pic.twitter.com/tZvwK1u6uu
— ANI (@ANI) October 16, 2023
बता दें कि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया कि महुआ संसद में सवाल पूछने के लिए पैसे लेती हैं। उन्होंने टीएमसी सांसद के खिलाफ एक जांच समिति गठित करने और उन्हें सदन से तत्काल निलंबित करने की मांग की है।
साल 2005 में भी ऐसा ही मामला आया था सामने
गौरतलब है कि 2005 में जब ऐसा ही एक मामला स्टिंग के जरिए सामने आया था तो तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष ने पवन बंसल की अध्यक्षता में जांच कराई थी। महज 23 दिन के अंदर रिपोर्ट आई थी और एकमत से सदन से इसकी इसकी आलोचना करते हुए सदस्यता खारिज कर दी गई थी। महुआ पर भी इसका खतरा आसन्न है। यूं तो अलग अलग कारणों से कई सदस्यों पर गिरी गाज को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है, लेकिन महुआ के साथ खड़ा होना किसी भी राजनीतिक दल के लिए मुश्किल होगा।

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