Bengal Election: पंचायत चुनाव की तारीख पर कलकत्ता HC ने सुरक्षित रखा फैसला, 16 जुलाई को हो सकता है मतदान!
कलकत्ता HC ने पंचायत चुनाव के नामांकन की अवधि बढ़ाने एवं केंद्रीय बलों की तैनाती पर फैसला सुरक्षित रखा है। सुनवाई सुबह 11 बजे से शुरू हुई और शाम पौने पांच बजे तक चली। बीच में सिर्फ 50 मिनट का ब्रेक लिया गया। अदालत कक्ष में सुवेंदु भी उपस्थित थे।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। कलकत्ता हाई कोर्ट ने पंचायत चुनाव के नामांकन की अवधि बढ़ाने एवं केंद्रीय बलों की तैनाती पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है।
साढ़े चार घंटे चली सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम व न्यायाधीश हिरणमय भट्टाचार्य की खंडपीठ में इस मामले पर सोमवार को दो चरणों में करीब साढ़े चार घंटे सुनवाई हुई। भाजपा विधायक व बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी और बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी की ओर से इसे लेकर याचिका दायर की गई थी।
कोर्ट ने 50 मिनट का लिया ब्रेक
सुनवाई सुबह 11 बजे से शुरू हुई और शाम पौने पांच बजे तक चली। बीच में सिर्फ 50 मिनट का ब्रेक लिया गया। अदालत कक्ष में सुवेंदु भी उपस्थित थे। सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है।
सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने क्या कहा
खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान राय रखते हुए यह जरूर कहा है कि केंद्रीय बलों की तैनाती में मतदान कराने से अच्छा है। अदालत सिविक वालेंटियरों से वोट कराने के पक्ष में नहीं है। चुनावी प्रक्रिया से उन्हें बाहर रखा जाए। राज्य चुनाव आयोग इसपर विचार करे।
नामांकन की अवधि में हो सकता है एक दिन का विस्तार
वहीं, राज्य चुनाव आयोग के अधिवक्ता की तरफ से कहा गया कि राज्य पुलिस पर भरोसा रखा जाना चाहिए। यह भी कहा गया कि अदालतें चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं कर सकती हैं और इसमें किसी तरह का व्यवधान डाले बिना नामांकन की अवधि में केवल एक दिन का विस्तार किया जा सकता है। अतीत में भी बंगाल में सात दिनों की नामांकन अवधि का रिकार्ड है। ऐसा पहली बार नहीं है।
कोर्ट ने दिया सुझाव
इसपर खंडपीठ ने सुझाव दिया कि मतदान आठ जुलाई के बजाय 16 जुलाई को कराया जा सकता है। ऐसे में नामांकन की अवधि 21 जून तक बढ़ाई जा सकेगी। गौरतलब है कि खंडपीठ ने पिछले सप्ताह इस याचिका को स्वीकार करते समय भी कहा था कि नामांकन के लिए पांच दिन पर्याप्त नहीं हैं। प्रथम दृष्टतया ऐसा प्रतीत होता है कि नामांकन से लेकर मतदान तक की पूरी अवधि में जल्दबाजी की गई है। मतदान के कार्यक्रम पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए।
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