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    उत्कृष्ट वास्तुकार गीता बालकृष्णन ने कोलकाता से दिल्ली तक पैदल यात्रा कर वास्तुकारों को किया प्रोत्साहित

    By Priti JhaEdited By:
    Updated: Wed, 02 Mar 2022 12:04 PM (IST)

    वास्तुकार गीता बालकृष्णन ने अपने जीवन के 20 वर्ष विद्यार्थियों व पेशेवर समुदाय के संभावितों और लोगों व इंडस्ट्री के बीच पर्यावरण के पहलू पर काम करते हुए बिताए हैं। इस साल ‘वॉक फॉर आरकॉज़’ उनके प्रयासों के 20 वर्ष पूरे कर रहा है।

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    उत्कृष्ट वास्तुकार गीता बालकृष्णन ने कोलकाता से दिल्ली तक पैदल यात्रा की और वास्तुकारों को प्रोत्साहित किया

    राज्य ब्यूरो, कोलकाता। उत्कृष्ट वास्तुकार गीता बालकृष्णन ने कोलकाता से दिल्ली तक पैदल यात्रा की और वास्तुकारों को प्रोत्साहित किया कि वे जेंडर समावेशी डिजाइन पर ध्यान केन्द्रित करते हुए डिजाइनों में सुधार करें और उन्हें सशक्त बनाएं। इस साल ‘वॉक फॉर आरकॉज़’ के अंतर्गत गीता बालकृष्णन कोलकाता से दिल्ली तक 1700 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर रही हैं, उनके इस सफर का उद्देश्य वास्तुशिल्पीय सामाजिक जिम्मेदारी पर प्रकाश डालना है, उन मुद्दों को सामने लाना है जिन्हें अच्छे डिजाइनों से हल किया जा सकता है और जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है

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    ऐतिहासिक रूप से वास्तुशिल्प और डिजाइन समाज की जरूरतों से गुंथे हुए होते हैं जिससे हर ज़माने के सामाजिक तानेबाने का पता चलता है। वक्त गुजरने के साथ पारिस्थितिकीय चुनौतियां और महानगरीय जोखिम सामने आते हैं जिनसे वास्तुशिल्प की भूमिका में भी विकास होता है। तो जब न्यायोचित व समावेशी समाज निर्माण की बात आती है तो जिम्मेदारी आती है उस क्षेत्र के प्रहरियों पर, और इस विषय में वो हैं हमारे वास्तुविद् जो सामाजिक दायित्व को अपने पेशे के केन्द्र में रखते हैं।

    वास्तुकार गीता बालकृष्णन ने अपने जीवन के 20 वर्ष विद्यार्थियों व पेशेवर समुदाय के संभावितों और लोगों व इंडस्ट्री के बीच पर्यावरण के पहलू पर काम करते हुए बिताए हैं। इस साल ‘वॉक फॉर आरकॉज़’ उनके प्रयासों के 20 वर्ष पूरे कर रहा है, इसके अंतर्गत गीता बालकृष्णन कोलकाता से दिल्ली तक 1700 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर रही हैं, उनके इस सफर का उद्देश्य वास्तुशिल्पीय सामाजिक जिम्मेदारी पर प्रकाश डालना है, उन मुद्दों को सामने लाना है जिन्हें अच्छे डिजाइनों से हल किया जा सकता है और जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है। आईटीसी विवेल उन्हें समर्थन दे रहा है।

    इस पहल पर आर्किटेक्ट गीता बालाकृष्णन कहती हैं, “वॉक फॉर आरकॉज़ एक सशक्त समाज का ढांचा बनाने की दिशा में कार्य करता है और जेंडर के प्रति संवेदनशील डिजाइन की समझ को सक्षम बनाता है। यह एक बार में एक बदलाव लाने की बात करता है और मैं इसे अब समझौता नहीं के जज़्बे के साथ एक कदम और आगे बढ़ा रही हूं।”