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    चीनी गुप्तचर जहाज 'युआन वांग-6 को भारत के एक्सक्लूसिव इकोनामिक जोन में प्रवेश करने नहीं देगी नौसेना

    By Jagran NewsEdited By: Vijay Kumar
    Updated: Sun, 06 Nov 2022 10:41 PM (IST)

    युआन वांग-6 की हरेक गतिविधि पर लगातार रखी जा रही है कड़ी नजर। 2019 में नौसेना ने चीन के एक अन्य जहाज को अपने जलक्षेत्र से कर दिया था बाहर। इस जहाज का गंतव्य कोई भारतीय बंदरगाह नहीं है। वह अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में है तबतक कुछ नहीं किया जा सकता।

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    इस साल अगस्त में युआन वांग-5 ने हंबनटोटा बंदरगाह पर ही लंगर डाला था।

    राज्य ब्यूरो, कोलकाता : भारतीय नौसेना चीनी जहाज 'युआन वांग-6 को देश के एक्सक्लूसिव इकोनामिक जोन (ईईजेड) में प्रवेश करने नहीं देगी, समुद्र में 200 नाटिकल मील तक फैला हुआ है। यह ज्ञात तथ्य है कि युआन वांग-6 पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (प्लान) का गुप्तचर जहाज है, जिसे भारत की तरफ से हिंद महासागर क्षेत्र में ओडि़शा तट के पास एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से किए गए मिसाइल परीक्षण का पता लगाने के लिए भेजा गया है। यह जहाज आधिकारिक तौर पर अनुसंधानकारी जहाज के तौर पर पंजीकृत है। गौरतलब है कि युद्धपोत समेत विदेशी जहाज मुक्त तरीके से ईईजेड में आ सकते हैं लेकिन भारतीय कानून बगैर अनुमति के किसी भी राष्ट्र द्वारा वहां अनुसंधान अथवा अन्वेषण की इजाजत नहीं देता।

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    जहाज का गंतव्य कोई भारतीय बंदरगाह नहीं है

    गौरतलब है कि 2019 में भारतीय नौसेना ने चीन के कथित अनुसंधानकारी जहाज 'शी यान-1Ó को भारत के ईईजेड से बाहर जाने के लिए बाध्य कर दिया था, जब उसे पोर्ट ब्लेयर के पास छिपा पाया गया था। 'शी यान-1 को भी प्लान का गुप्तचर जहाज बताया जा रहा है, जिसे अनुसंधानकारी जहाज का मुखौटा पहनाया गया था। भारत के उस कदम को लेकर चीन से काफी कूटनीतिक विवाद भी हुआ ता। सूत्रों के मुताबिक अगर युआन वांग-6 ने भारत के ईईजेड में प्रवेश करने की कोशिश की तो भारतीय नौसेना इस मामले में भी वही कदम उठाएगी। इस जहाज का गंतव्य कोई भारतीय बंदरगाह नहीं है। यह अभी खुले समुद्र में है।

    हरेक गतिविधि पर लगातार कड़ी नजर रख रहे

    नौसेना के एक अधिकारी ने बताया-'हम चीनी जहाज की हरेक गतिविधि पर लगातार कड़ी नजर रख रहे हैं बल्कि अभी हम यह पता लगाने की भी स्थिति में है कि यह जहाज किस चीज को ट्रैक कर रहा है, हालांकि हम तब तक कुछ नहीं कर सकते, जब तक वह खुले समुद्र में है। अगर उसने हमारे ईईजेड में प्रवेश करने की कोशिश की तो कार्रवाई की जाएगी। एक विदेशी अनुसंधानकारी जहाज को हमारे जलक्षेत्र में परिचालन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। वह हमारी तटीय रेखा के करीब नहीं आ सकती। हमें पता है कि युआन वांग-6 में शक्तिशाली उपकरण लगे हुए हैं, जो सैकड़ों नाटिकल मील से चीजों को ट्रैक कर सकते हैं लेकिन जब तक वह अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में है, तब तक कुछ नहीं किया जा सकता।

    विदेशी युद्धपोत व् सबमरीन प्रवेश नहीं कर सकता

    अधिकारी ने आगे कहा-'भारत सरकार की अनुमति के बिना कोई विदेशी युद्धपोत या सबमरीन इस क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सकता। अगर अनुमति दी भी जाती है तो विदेशी सबमरीन को पानी की सतह पर अपने देश का झंडा फहराते हुए आना होगा। युद्धक जहाजों के क्षेत्र में भी यही लागू होता है, हालांकि अन्य विदेशी जहाजों के मामले में यह प्रतिबंध नहीं है। जैसा कि युआन वांग-6 नौसेना के जहाज के तौर पर पंजीकृत नहीं है इसलिए उसे अगर ईईजेड में प्रवेश करने से नहीं रोका गया तो वह भारत के जल क्षेत्र में प्रवेश करने की कोशिश कर सकता है।

    युआन वांग-5 ने हंबनटोटा बंदरगाह पर ही लंगर

    अधिकारी ने कहा-'एक समस्या यह है कि चीनी जहाज को हमारे साथ लगी सामुद्रिक सीमा वाला कोई पड़ोसी देश अपने जल क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति न दे दे। हमारी सामुद्रिक सीमा बांग्लादेश और श्रीलंका के साथ है। इन देशों पर हम हमारे ईईजेड संबंधी कानून को लागू नहीं कर सकते इसलिए अगर श्रीलंका या बांग्लादेश चीनी जहाज को अपने जल क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति देता है तो वह हमारी तटीय रेखा के बेहद करीब आ जाएगा और सबकुछ पता लगा लेगा। गौरतलब है कि श्रीलंका इस समय सिर तक कर्ज में डूबा हुआ है और उसे अपने हंबनटोटा बंदरगाह को चीन पर लीज पर दे रखा है। इस साल अगस्त में युआन वांग-5 ने हंबनटोटा बंदरगाह पर ही लंगर डाला था।