Bengal : बहुलवाद के माहौल में सर्वोत्तम काम करता है लोकतंत्र - नारायण मूर्ति
एनआर नारायण मूर्ति ने टेक्नो इंडिया यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में कहा कि लोकतंत्र में किसी को जिम्मेदारी से विनम्रतापूर्वक और निडर होकर राय व्यक्त करने की और जीवन की बेहतर गुणवत्ता की तलाश करने की भी स्वतंत्रता है। यह एक न्यायपूर्ण समाज बनाने की जिम्मेदारी का निर्वाह करता है जो सभी को नागरिक स्वतंत्रता और व्यक्तिगत अधिकारों का सबसे मजबूत सेट प्रदान करने के मूलभूत सिद्धांत को अपनाता है।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। इंफोसिस के सह-संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति ने गुरुवार को कहा कि बहुलवाद के माहौल में लोकतंत्र सर्वोत्तम काम करता है, जहां प्रत्येक नागरिक को अपनी आस्था और विश्वास का पालन करने की स्वतंत्रता है। मूर्ति ने आगे कहा कि भारत में लोकतंत्र तभी समृद्ध होगा, जब एक ऐसी मानसिकता बनाई जाएगी, जो मतभेदों के बजाय विभिन्न मान्यताओं की समानताओं को उजागर करे।
चार स्वतंत्रताओं का रूप
अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट ने सच्चे लोकतंत्र को चार स्वतंत्रताओं के रूप में परिभाषित किया था। ये हैं-अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, आस्था की स्वतंत्रता, भय से स्वतंत्रता और अभाव से स्वतंत्रता।
क्या कहा मूर्ति ने ?
मूर्ति ने यहां टेक्नो इंडिया यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में कहा कि लोकतंत्र में किसी को जिम्मेदारी से, विनम्रतापूर्वक और निडर होकर राय व्यक्त करने की और जीवन की बेहतर गुणवत्ता की तलाश करने की भी स्वतंत्रता है।
नागरिक स्वतंत्रता और व्यक्तिगत अधिकार
यह एक न्यायपूर्ण समाज बनाने की जिम्मेदारी का निर्वाह करता है, जो सभी को नागरिक स्वतंत्रता और व्यक्तिगत अधिकारों का सबसे मजबूत सेट प्रदान करने के मूलभूत सिद्धांत को अपनाता है। मूर्ति ने कहा कि पिछले तीन दशकों में प्रशंसनीय आर्थिक प्रगति के बावजूद भारत में गरीबी, जनसंख्या, पीने योग्य पानी और स्वच्छ हवा जैसी अनसुलझी समस्याएं हैं।
भारत ने जनसंख्या नियंत्रण को प्राथमिकता नहीं दी : मूर्ति
भारत ने जनसंख्या नियंत्रण को प्राथमिकता नहीं दी है। इस समय सबसे जरूरी हमारी जनसंख्या वृद्धि दर को कम करना है। हालांकि भारत के कुछ हिस्सों ने इसे कम करने में अच्छी प्रगति की है लेकिन कुछ अन्य हिस्सों ने इसपर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया है। स्नातक करने वाले छात्रों को प्रोत्साहित करते हुए मूर्ति, जो अब इंफोसिस के मानद अध्यक्ष हैं, ने कहा कि एक पेशेवर वह है जो पेशे के नियमों और इसकी नैतिकता के अनुसार रहता है।
एक पेशेवर खुले दिमाग वाला बनने के लिए कड़ी मेहनत करता है क्योंकि वह जानता है कि दुनिया में सबसे खतरनाक चीज बंद दिमाग है। यूनिवर्सिटी ने प्रख्यात उद्योगपति रतन टाटा को उनकी अनुपस्थिति में डाक्टर आफ लेटर्स की डिग्री प्रदान की।
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