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    मुर्शिदाबाद हिंसा: मुंह पर कपड़ा बांधकर आए दंगाइयों ने मचाई तबाही, पीड़ितों ने सुनाई खौफनाक मंजर की आंखों देखी

    Updated: Thu, 17 Apr 2025 11:30 PM (IST)

    बंगाल में मुर्शिदाबाद हिंसा के पीड़ित काफी हिंदू परिवार अब भी मालदा के परलालपुर शरणार्थी शिविर में हैं। पिछले सप्ताह शुक्रवार को जिस खौफनाक मंजर को इन्होंने देखा उसको याद कर अब भी कांप जाते हैं। पुलिस-प्रशासन की ओर से सुरक्षा का भरोसा दिया जा रहा है लेकिन इनके मन में जो डर बैठ गया है वह खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।

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    मुर्शिदाबाद हिंसा: हिंसा वाले दिन को याद कर अब भी कांप उठते हैं शरणार्थी (फाइल फोटो)

     मोहन झा, परलालपुर। बंगाल में मुर्शिदाबाद हिंसा के पीड़ित काफी हिंदू परिवार अब भी मालदा के परलालपुर शरणार्थी शिविर में हैं। पिछले सप्ताह शुक्रवार को जिस खौफनाक मंजर को इन्होंने देखा, उसको याद कर अब भी कांप जाते हैं।

    हर तरफ चीख-पुकार का आलम था

    पुलिस-प्रशासन की ओर से सुरक्षा का भरोसा दिया जा रहा है, लेकिन इनके मन में जो डर बैठ गया है, वह खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। ये बताते हैं कि दंगाई मुंह पर कपड़ा बांधकर आए थे। हर तरफ चीख-पुकार का आलम था। एक-एक कर हिंदुओं के घरों को निशाना बनाया जा रहा था।

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    भविष्य की चिंता सता रही

    टीवी पर बांग्लादेश में जो होते देखा, वैसा ही हो रहा था। अब इन्हें अपने भविष्य की चिंता सता रही है। पिछले दो दिनों के दौरान कई परिवार पुलिस सुरक्षा में अपने घर लौट चुके हैं, लेकिन अधिकांश शरणार्थी अब भी यहीं हैं। इन्हीं में शामिल हैं मुर्शिदाबाद जिले के धुलियान नगर पालिका के 16 नंबर वार्ड अंतर्गत बेदवना निवासी श्रीवास मंडल और काली चरण प्रमाणिक।

    यह दोनों भी हिंसा के दौरान किसी तरह से अपनी जान बचाकर परिवार समेत परलालपुर हाई स्कूल में शरण लिए हुए हैं। श्रीवास मंडल सब्जी बेचते थे, जबकि काली चरण दिहाड़ी मजदूर हैं। इन लोगों ने बताया कि दोपहर को जब यह घर लौटे तो इलाके में एक रैली हो रही थी।

    वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ मुस्लिमों की रैली बाद हुई हिंसा

    वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ मुस्लिमों की यह रैली थी। कुछ समय बाद जब वह अपने घर में थे कि तभी लोगों की चीख-पुकार सुनाई पड़ी। बम के धमाके होने लगे। घर से बाहर निकलकर देखा तो काफी संख्या में दंगाई मुंह पर कपड़ा बांधकर हिंदुओं के घरों पर पेट्रोल बम फेंक रहे थे।

    किसी तरह महिलाएं खुद को बचाकर भागीं

    घरों को धू-धू कर जलता देख वह लोग घबरा गए और भागने की तैयारी करने लगे। उससे पहले ही हिंसा की आग इनके घरों तक पहुंच गई। कई दंगाई उनके घर में आ गए। पहले बक्सा आदि तोड़कर रुपये-गहने लूटे। फिर महिलाओं से बदसुलूकी करने लगे। किसी तरह महिलाएं खुद को बचाकर पास बह रही गंगा नदी किनारे भागीं।

    वह भी महिलाओं के साथ ही तेजी से गंगा नदी की ओर बढ़े। वहां से नाव पर सवार होकर मालदा के परलालपुर पहुंचे। श्रीवास मंडल ने कहा कि वह वैसा ही मंजर था, जैसा पिछले दिनों बांग्लादेश की हिंसा को टीवी पर देखा था। तब सोचा भी नहीं था कि इस प्रकार की हिंसा के शिकार वह भी हो जाएंगे।

    बच्चे व इज्जत बचाने को दंगाइयों पर किया हमला

    आठ माह की बेटी और पांच वर्ष के बेटे के साथ शिविर में शरण लेने वाली सुमति मंडल ने बताया दोपहर का भोजन बनाकर उठी ही थी कि तभी हिंसा भड़क गई। कई दंगाई उनके घर मे घुस आए। तलवार और पेट्रोल बम दिखाकर पहले घर को लूटा।

    आठ माह की बच्ची को छीन कर जमीन पर फेंक दिया

    कपड़े फाड़ने की कोशिश भी की। गोद में आठ माह की बच्ची को छीन कर जमीन पर फेंक दिया। पति काम पर गए हुए थे, ऐसे में बच्चों की सुरक्षा और अपनी इज्जत बचाने के लिए इंट से दंगाइयों पर हमला बोल दिया। इसके बाद वहां से बच्चों को लेकर भागी।

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