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    नपा भर्ती घोटाले में ममता सरकार ने HC के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती, CBI जांच को तुरंत रोकने की मांग

    By Jagran NewsEdited By: Anurag Gupta
    Updated: Fri, 02 Jun 2023 06:49 PM (IST)

    नपा भर्ती घोटाले की सीबीआई व ईडी जांच का आदेश सर्वप्रथम कलकत्ता हाई कोर्ट की एकलपीठ के न्यायाधीश अभिजीग गंगोपाध्याय ने दिया था। इसके बाद मामला दो जजों की खंडपीठ के पास पहुंचा लेकिन रोक लगाने से खंडपीठ ने इनकार कर दिया।

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    ममता सरकार ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल की ममता सरकार ने नगरपालिका (नपा) भर्ती घोटाले में कलकत्ता हाई कोर्ट के सीबीआई-ईडी जांच के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। नगरपालिका भर्ती घोटाले में हाई कोर्ट ने पहले ही सीबीआई व ईडी जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।

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    शुक्रवार को ममता सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता सुनील फर्नांडिस ने न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की खंडपीठ के समक्ष याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की। उन्होंने शीर्ष अदालत के समक्ष तर्क प्रस्तुत किया कि अभियुक्तों को सुरक्षा की आवश्यकता है, अन्यथा एजेंसियां अपनी जांच आगे बढ़ाएंगी।

    सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस बात पर आपत्ति जताई कि कोई राज्य कैसे इस तरह से सीबीआई या ईडी जांच के आदेश के खिलाफ याचिका दायर कर सकता है। उन्होंने कहा कि कोई आरोपित आया होता तो समझा जा सकता है।

    कब होगी मामले की सुनवाई?

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले की सुनवाई तीन जुलाई को अवकाश के बाद होगी और ममता सरकार के अधिवक्ता को इसका फिर से उल्लेख करने को कहा।

    बताते चलें कि इस भर्ती घोटाले की सीबीआई व ईडी जांच का आदेश सर्वप्रथम कलकत्ता हाई कोर्ट की एकलपीठ के न्यायाधीश अभिजीग गंगोपाध्याय ने दिया था। इसके बाद यह मामला हाई कोर्ट की जज अमृता सिन्हा की एकलपीठ में पुनर्विचार के लिए भेजा गया जिस पर सुनवाई के बाद 12 मई को जज सिन्हा ने भी जस्टिस गंगोपाध्याय के फैसले को बरकरार रखा।

    सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती

    इसके बाद ममता सरकार ने दो जजों की खंडपीठ में चुनौती दी, लेकिन 22 मई को उस पर रोक लगाने से खंडपीठ ने भी इनकार कर दिया। इसके बाद इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।

    बंगाल सरकार का तर्क है,

    हाई कोर्ट की खंडपीठ ने इस बात पर गौर नहीं किया कि कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है और राज्य पुलिस के पास अपने अधिकार क्षेत्र में किए गए किसी भी संज्ञेय अपराध की जांच करने की प्राथमिकता है।

    इसने आगे कहा गया कि यद्यपि न्यायालयों को सीबीआई को जांच स्थानांतरित करने का अधिकार है, लेकिन ऐसी शक्तियों का प्रयोग संयम से और केवल दुर्लभ मामलों में किया जाना चाहिए। इसलिए सीबीआई और ईडी द्वारा की जा रही जांच पर तुरंत रोक लगाई जानी चाहिए।