'बिना प्लान के ही नहीं, ये खतरनाक भी है', SIR पर ममता बनर्जी की EC को चिट्ठी
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर बंगाल में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) पर चिंता जताई है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह प्रक्रिया बिना योजना के चल रही है, जिससे अराजकता और खतरा पैदा हो रहा है। ममता बनर्जी ने तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया की रक्षा की जा सके और संभावित गंभीर परिणामों से बचा जा सके।

ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग को लिखा पत्र। (फाइल)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बंगाल में जारी SIR को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में ममता ने आरोप लगाया है कि राज्य में चल रहा एसआईआर बिना किसी प्लान के किया जा रहा है, जो न केवल अस्त-व्यस्त है बल्कि खतरनाक भी है और यह खतरनाक स्टेज पर पहुंच गया है।
सीएम ममता बनर्जी ने CEC ज्ञानेश कुमार को लिखा, "मैं आपको लिखने के लिए मजबूर हूं क्योंकि बंगाल में चल रहा स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) के हालात बहुत ही खतरनाक स्टेज पर पहुंच गया है। जिस तरह से यह काम अधिकारियों और नागरिकों पर थोपा जा रहा है, वह न सिर्फ बिना प्लान के और अस्त-व्यस्त है, बल्कि खतरनाक भी है।"
West Bengal CM Mamata Banerjee writes to CEC Gyanesh Kumar - "...I am compelled to write to you as the situation surrounding the ongoing Special Intensive Revision (SIR) has reached a deeply alarming stage. The manner in which this exercise is being forced upon officials and… pic.twitter.com/n02aQ24eS3
— ANI (@ANI) November 20, 2025
ममता ने अपने पत्र में लिखा, "बेसिक तैयारी, सही प्लानिंग या साफ कम्युनिकेशन की कमी ने पहले दिन से ही इस प्रोसेस को कमजोर कर दिया है। ट्रेनिंग में बड़ी कमियां, जरूरी डॉक्यूमेंटेशन पर साफ जानकारी न होना और वोटरों से उनके रोजगार के कामों के बीच मिलना लगभग नामुमकिन होने की वजह से यह काम स्ट्रक्चर के हिसाब से ठीक नहीं है।"
डेमोक्रेटिक ढांचे की ईमानदारी को बचाने के लिए बहुत जरूरी- ममता
सीएम ममता ने कहा, "मैं आपसे रिक्वेस्ट करूंगी कि आप इस काम को रोकने के लिए मजबूती से दखल दें, जबरदस्ती के तरीके बंद करें, सही ट्रेनिंग और सपोर्ट दें, और मौजूदा तरीके और टाइमलाइन का अच्छी तरह से फिर से आकलन करें।"
अगर इस रास्ते को बिना देर किए ठीक नहीं किया गया, तो सिस्टम, अधिकारियों और नागरिकों के लिए इसके नतीजे ऐसे होंगे जिन्हें बदला नहीं जा सकता। यह दखल न सिर्फ जरूरी है बल्कि चुनावी प्रोसेस और हमारे डेमोक्रेटिक ढांचे की ईमानदारी को बचाने के लिए बहुत जरूरी भी है।

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