भारत में महिलाओं के समान अधिकार में हो रही वृद्धि: लॉर्ड भीखू पारेख
लंदन से मशहूर राजनीतिक सिद्धांतकार और मार्गदर्शक लॉर्ड भीखू पारेख ने लाइव ऑनलाइन सत्र में अपने जीवन के अनुभवों और विचारों को किया साझा।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाओं को समान अधिकार मिलने की शुरुआत भारत में धीरे-धीरे बढ़ रही है, जो एक अच्छे भविष्य का संकेत है। यह बात कोलकाता की सामाजिक संस्था प्रभा खेतान फाउंडेशन द्वारा आयोजित लाइव ऑनलाइन सत्र एक मुलाकात में लंदन से मशहूर राजनीतिक सिद्धांतकार और मार्गदर्शक लॉर्ड भीखू पारेख ने अपने जीवन के अनुभवों और विचारों को साझा करने के दौरान कही।
भारत में लैंगिक समानता के विषय का उल्लेख करते हुए लॉर्ड पारेख ने कहा, हमें याद रखना चाहिए कि एक मां के रूप में महिला के पास वो अधिकार है जो एक बेटी और पत्नी के रूप में महिला के पास नहीं है। एक युवा के रूप में उनके पास दुनिया को समझने के लिए एक आंतरिक आवेग था जिसके कारण और कुछ परंपराओं और रीति-रिवाजों का समर्थन नहीं कर उन्होंने इसका समर्थन करने से इनकार कर दिया।
अपने जीवन के अनुभव को किया साझा
लॉर्ड पारेख ने महिला सशक्तीकरण, भारतीय संस्कृति, भारत में अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली, माता-पिता के प्रति प्रेम के प्रति ग्लोबल प्लेटफॉर्म में बातचीत के दौरान लेडी मोहिनी केंट नून के साथ अपने विचारों को दर्शकों और श्रोताओं के समक्ष साझा किया।
लॉर्ड भीखू छोटेलाल पारेख एक शिक्षाविद और विचारक के तौर पर प्रसिद्ध हैं। उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (एलएसई) से पीएचडी की और ब्रिटेन में बहुसंस्कृतिवाद और सद्भाव की अवधारणा को लेकर लोगों को विस्तृत जानकारी दी। वह पद्म भूषण प्राप्त हैं और उन्होंने कई अन्य लोगों के बीच ग्लोबल थिंकर अवार्ड – ‘सर यशायाह बर्लिन पुरस्कार’ भी जीता है।
कुछ प्रतिभाशाली व्यक्तियों ने मुझसे जुड़कर मेरी मदद की
लॉर्ड भीखू पारेख ने कहा कि 20 वीं शताब्दी के महानतम दार्शनिकों में से एक प्रोफ़ेसर माइकल ओकेशॉट के आकार में ‘एक अदृश्य हाथ’, जिसने किसी कारण इसके इतिहास ने मुझे काफी प्रभावित किया। मेरे जीवन में चार महत्वपूर्ण मोड़ हैं, इनमें से प्रत्येक मोड़ पर कुछ प्रतिभाशाली व्यक्तियों ने मुझसे जुड़कर मेरी मदद की। मैने अपने अतीत से शिक्षा ग्रहण कर अपने जीवन को युवाओं की मदद के लिए समर्पित कर दिया है।
भारत और भारत के बीच का संबंध काफी जटिल
भारतीयों के बीच अंग्रेजी के अत्यधिक प्रभाव का उल्लेख करते हुए लॉर्ड पारेख ने कहा, भारत और भारत के बीच का संबंध काफी जटिल है। आज भी, जब आप भारत के बारे में बात करते हैं, तो आप 3000 साल पुरानी भूमि के बारे में बात कर रहे होते हैं। हमारी चेतना और भाषा के साथ गति काफी अलग है। मेरी दिल की भावना यह है कि मुझे भारत में हिंदी भाषा से उतना ही प्रेम और लगाव है जिस प्रकार इजराइली लोग अपनी मातृभाषा हिब्रू भाषा से प्रेम करते हैं।
मनीषा जैन (प्रमुख, ब्रांडिंग एंड कम्युनिकेशन, प्रभा खेतान फाउंडेशन) ने कहा, इस पहल ने महान प्रमुख प्रतिभाशाली व्यक्तित्वों एवं उनकी प्रतिभाओं को एक मंच पर लाया है। लॉर्ड भीखू पारेख एक प्रतिभावान मार्गदर्शक हैं, जिनका जीवन और कार्य हम सभी को प्रेरित करता रहता है।