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    साल्टलेक स्टेडियम को भी चुकानी न पड़ जाए ईडन गार्डेंस जैसी भारी कीमत! फीफा भी मोड़ सकता है मुंह

    By Vishal shresthaEdited By: Umesh Kumar
    Updated: Sat, 13 Dec 2025 08:24 PM (IST)

    मालूम हो कि 1996 में ईडन गार्डेंस में दर्शकों के हंगामे के कारण भारत-श्रीलंका के बीच चल रहा विश्वकप का सेमीफाइनल मैच रद करना पड़ा था। मैच रेफरी क्लाइव ...और पढ़ें

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    भगदड़ के दौरान जमीन पर गिरा फैंस। फोटो- PTI

    विशाल श्रेष्ठ, जागरण, कोलकाता। एशिया के सबसे बड़े फुटबॉल स्टेडियमों में शामिल कोलकाता के विवेकानंद युवाभारती क्रीड़ांगन (साल्टलेक स्टेडियम) पर अर्जेंटीना के दिग्गज फुटबॉलर लियोनेल मेसी के सम्मान समारोह के दौरान दर्शकों के हंगामे से बड़ा धब्बा लग गया है, जिसका दूरगामी प्रभाव देखने को मिल सकता है। 68,000 दर्शकों की क्षमता वाले इस विशाल स्टेडियम को भी ईडन गार्डेंस जैसी बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

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    मालूम हो कि 1996 में ईडन गार्डेंस में दर्शकों के हंगामे के कारण भारत-श्रीलंका के बीच चल रहा विश्वकप का सेमीफाइनल मैच रद करना पड़ा था। मैच रेफरी क्लाइव लायड ने मैच में बेहतर स्थिति में होने के कारण श्रीलंका को विजयी घोषित कर दिया था, जिससे भारत का उस वर्ष विश्वकप जीतने का सपना चूर-चूर हो गया था। उस मैच के रद होने की ईडन गार्डेंस को बड़ी कीमत चुकानी पड़ी।

    ICC और BCCI ने बंद ली थी आंखें

    वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की आंखों में इस कदर चढ़ गया था कि उसके बाद लंबे समय तक उसे महत्वपूर्ण मैच नहीं मिले। 2011 में भारत में हुए विश्वकप में ईडन को कुछ ही मैच मिले, वह भी अन्य टीमों के जबकि यह स्टेडियम 1987 में ऑस्ट्रेलिया-इंग्लैंड के बीच विश्वकप का फाइनल मैच आयोजित कर चुका था।

    साल्टलेक स्टेडियम को भी ईडन गार्डेंस जैसी उपेक्षा का सामना करना पड़ सकता है। अखिल भारतीय फुटबॉल संघ के सूत्रों का कहना है कि इस घटना को भारत ही नहीं, पूरी दुनिया की फुटबाल बिरादरी में अच्छे से नहीं देखा जा रहा है, क्योंकि घटना के वक्त मैदान पर कोई और नहीं, बल्कि मौजूदा समय के सबसे बड़े फुटबॉलरों में से एक मेसी खुद ग्राउंड पर मौजूद थे। यह उनकी सुरक्षा से जुड़ा मामला भी है। ऐसे में आने वाले समय में साल्टलेक स्टेडियम को महत्वपूर्ण मैचों व समारोहों के आयोजन से हाथ धोना पड़ सकता है।

    फीफा भी फेर सकता है मुंह

    साल्टलेक स्टेडियम के लिए फीफा की छत्रछाया में होने वाले टूर्नामेंट व मैच अब दूर की कौड़ी हो सकते हैं। मालूम हो कि साल्टलेक स्टेडियम 2012 में अर्जेंटीना-वेनेजुएला के बीच मैत्री मैच का आयोजन कर चुका है, जो बतौर कप्तान मेसी का पहला मैच भी था। वह मैच अर्जेंटीना ने 1-0 गोल से जीता था। उसके सफल आयोजन के बाद फीफा ने साल्टलेक स्टेडियम को 2017 में अंडर-17 विश्वकप के कई मैचों के आयोजन का बड़ा दायित्व सौंपा था।

    यहां तक कि उसका फाइनल भी यहीं हुआ था। साल्टलेक स्टेडियम फीफा के 'गुड बुक' में आ गया था और भविष्य में भी उसके लिए फीफा के मैचों के आयोजन की संभावनाएं बनतीं, लेकिन इस घटना के बाद स्थिति तो बदलेगी ही, फीफा का नजरिया भी बदलना लाजिमी है। फीफा के मैच तो दूर, साल्टलेक स्टेडियम को अन्य अंतरराष्ट्रीय मैचों की मेजबानी मिलना भी मुश्किल हो सकता है।

    मालूम हो कि 1989 में यहां अंतरराष्ट्रीय फुटबाल टूर्नामेंट नेहरु कप के मैच हुए थे। 1997 फेडरेशन कप का सेमीफाइनल मैच भी यहीं हुआ था। एएफसी एशियन कप क्वालीफायर मैच भी यहां हो चुके हैं। 2011 में सैफ चैंपियनशिप के मैच भी साल्टलेक स्टेडियम में आयोजित हुए थे। आइलीग और इंडियन सुपर लीग के मैच नियमित रूप से यहां होते रहते हैं। इसके अलावा बड़े-बड़े म्यूजिक कंसर्ट का भी यहां आयोजन होता है।