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    'राज्यपाल-मुख्यमंत्री के बीच कानूनी लड़ाई अच्छी बात नहीं', कलकत्ता हाईकोर्ट ने ममता सरकार को दी नसीहत

    Updated: Thu, 06 Mar 2025 11:30 PM (IST)

    न्यायमूर्ति कृष्ण राव की एकल पीठ ने बंगाल के राज्यपाल डॉ सीवी आनंद बोस द्वारा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी व तीन अन्य के खिलाफ पिछले साल दायर किए गए मानहानि के मुकदमे पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। न्यायमूर्ति ने सुझाव दिया कि मतभेदों को चाय पर चर्चा कर सुलझाया जा सकता है। न्यायमूर्ति ने कहा कि वह सिर्फ मौखिक सुझाव दे रहे हैं।

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    'राज्यपाल-मुख्यमंत्री के बीच कानूनी लड़ाई अच्छी बात नहीं', कलकत्ता हाईकोर्ट (सांकेतिक तस्वीर)

     राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। कलकत्ता हाई कोर्ट ने गुरुवार को मौखिक रूप से कहा कि किसी भी राज्य के राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच कानूनी लड़ाई किसी भी पक्ष के लिए अच्छी बात नहीं है।

    कोर्ट ने कही ये बात

    न्यायमूर्ति कृष्ण राव की एकल पीठ ने बंगाल के राज्यपाल डा सीवी आनंद बोस द्वारा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी व तीन अन्य के खिलाफ पिछले साल दायर किए गए मानहानि के मुकदमे पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।

    न्यायमूर्ति ने सुझाव दिया कि मतभेदों को 'चाय पर चर्चा' कर सुलझाया जा सकता है। इसे स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री के अधिवक्ता कल्याण बनर्जी (तृणमूल कांग्रेस सांसद भी) ने अनुरोध किया कि सुझाव का उल्लेख पीठ के निर्देश में किया जाना चाहिए।

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    किसी भी मामले में अधिक संयम बरतना चाहिए

    न्यायमूर्ति ने कहा कि वह सिर्फ मौखिक सुझाव दे रहे हैं। बाद में लिखित निर्देश दिया जा सकता है। इस पर कल्याण बनर्जी ने दलील दी कि किसी भी राजनीतिक व्यक्ति को किसी भी मामले में अधिक संयम बरतना चाहिए।

    उन्होंने राज्यपाल द्वारा मुकदमा दायर करने के औचित्य पर भी सवाल उठाया क्योंकि राज्यपाल के पद को पहले से ही कुछ संवैधानिक संरक्षण प्रप्त है। इस पर राज्यपाल के अधिवक्ता धीरज त्रिवेदी ने कहा कि सरकार की कुर्सी बिल्कुल भी राजनीतिक नहीं है।

    इस मामले पर हुआ विवाद

    मालूम हो कि पिछले साल दो नवनिर्वाचित तृणमूल विधायकों, उत्तर 24 परगना जिले की बरानगर सीट से सायंतिका बनर्जी और मुर्शिदाबाद जिले की भगवानगोला सीट से रेयात हुसैन सरकार के शपथ ग्रहण समारोह को लेकर विवाद हुआ था।

    राज्यपाल ने जोर देकर कहा था कि दोनों नवनिर्वाचित विधायक शपथ लेने राजभवन आएं जबकि नवनिर्वाचित विधायकों ने विधानसभा में शपथ ग्रहण करने की इच्छा जताई थी। यह मामला तूल पकड़ता गया।

    राज्यपाल ने किया मुकदमा

    मुख्यमंत्री के साथ कई तृणमूल नेताओं ने मामले में राज्यपाल की आलोचना की थी। इसके बाद राज्यपाल ने उनके खिलाफ हाई कोर्ट में मानहानि का मुकदमा दायर किया था, जिसमें मुख्यमंत्री का नाम सबसे पहले है।