'फेंसिंग के लिए जमीन अधिग्रहण अभी भी सबसे बड़ी समस्या', बीएसएफ ने कहा- बंगाल सरकार का सीमित सहयोग
सीमा सुरक्षा बल उत्तर बंगाल फ्रंटियर के महानिरीक्षक मुकेश त्यागी ने कहा कि बांग्लादेशी घुसपैठ रोकने के लिए सीमा पर फें¨सग जरूरी है। इस काम के लिए जमीन ...और पढ़ें

'फेंसिंग के लिए जमीन अधिग्रहण अभी भी सबसे बड़ी समस्या', बीएसएफ (सांकेतिक तस्वीर)
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी। सीमा सुरक्षा बल उत्तर बंगाल फ्रंटियर के महानिरीक्षक मुकेश त्यागी ने कहा कि बांग्लादेशी घुसपैठ रोकने के लिए सीमा पर फें¨सग जरूरी है। इस काम के लिए जमीन अधिग्रहण में परेशानी हो रही है। जमीन नहीं मिलने के कारण फेंसिंग संभव नहीं हो पा रहा है।
अभी भी 104 किलोमीटर सीमा पूरी तरह खुली हुई है
बंगाल के सिलीगुड़ी में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे अधिकार क्षेत्र में भारत-बांग्लादेश की कुल 936 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा आती है। इसमें से अभी भी 104 किलोमीटर सीमा पूरी तरह खुली हुई है। इनमें 56 किलोमीटर से अधिक नदी क्षेत्र है, जहां फेंसिंग संभव नहीं है, जबकि बाकी 56 किलोमीटर खुली जमीन पर फेंसिंग की जानी है।
बीएसएफ ने बंगाल सरकार से जमीन मांगी है
इसके लिए बीएसएफ ने बंगाल सरकार से जमीन मांगी है, इसके एवज में 51.92 करोड़ रुपये राजकोष में जमा करा दिए गए हैं फिर भी अब तक सिर्फ 20 एकड़ जमीन ही उपलब्ध कराई गई है। इससे करीब पांच किलोमीटर फेंसिंग हो सकती है।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि ''फेंसिंग के लिए जमीन मुहैया कराने में राज्य सरकार से लिमिटेड सपोर्ट मिल रहा है।'' यह भी कहा कि सीमा सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए न्यू डिजाइन फेंसिंग(एनडीएफ) का काम तेजी से चल रहा है। अब तक 250 किलोमीटर पर यह काम पूरा हो चुका है।
अब तक 250 किलोमीटर पर यह काम पूरा हो चुका है
12 फीट ऊंची फेंसिंग के तार को काटना या उस पर चढ़कर पार करना लगभग असंभव है। जरूरत के हिसाब से इसमें अलार्म सिस्टम भी जोड़ा जा रहा है। साथ ही नाइट विजन और बुलेट-प्रूफ सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं। इससे घुसपैठ और तस्करी की घटनाओं में करीब 85 प्रतिशत की कमी आई है।
घुसपैठियों और अपराधियों का पूरा डाटाबेस तैयार
यह भी बताया कि भारत-बांग्लादेश सीमा पर घुसपैठियों और अपराधियों का पूरा डाटाबेस तैयार करने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। सीमा पर फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन मशीनें लगाई जा रही हैं और एक विशेष पोर्टल विकसित किया गया है। हर पकड़े गए व्यक्ति का फिंगरप्रिंट लेकर उसे इस पोर्टल में दर्ज किया जा रहा है।

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