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    नई दिल्ली में इंडिया गेट पर लगी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा, कोलकाता के लोगों ने जताई खुशी

    By Umesh KumarEdited By:
    Updated: Thu, 08 Sep 2022 10:53 PM (IST)

    अन्य लोगों का कहना था कि प्रतिमा की स्थापना पर खर्च की गई राशि का उपयोग कुछ विकास कार्यों के लिए किया जा सकता था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवा ...और पढ़ें

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    इंडिया गेट पर लगाई सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा।

    कोलकाता, राज्य ब्यूरो। कोलकाता के आम लोगों ने नई दिल्ली में इंडिया गेट के निकट नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) की प्रतिमा की स्थापना को लेकर खुशी व्यक्त की। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने कोलकाता शहर के मेयर के रूप में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी। हालांकि कुछ लोगों ने जहां एक बेहतर भारत के लिए उनके आदर्शों का पालन करने का आह्वान किया।

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    वहीं अन्य लोगों का कहना था कि प्रतिमा की स्थापना पर खर्च की गई राशि का उपयोग कुछ विकास कार्यों के लिए किया जा सकता था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को नई दिल्ली में इंडिया गेट के पास स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भव्य प्रतिमा का अनावरण किया।

    'आदर्शों का किया जाना चाहिए पालन'

    साफ्टवेयर डेवलपर संध्या रानी आचार्य ने कहा कि प्रतिमा के जरिए नेताजी को वह सम्मान मिलेगा, जिसके वे हकदार हैं, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। बेहतर भारत के लिए उनके आदर्शों का पालन किया जाना चाहिए। यादवपुर विश्वविद्यालय की छात्रा श्रेया करमाकर ने कहा कि यदि हम उन्हें सम्मानित करना चाहते हैं, तो हमें उनकी धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद की विचारधारा का पालन करना होगा।

    लोगों में दिखा उत्साह

    उन्होंने कहा कि धर्म और जाति की परवाह किए बिना गरीबों के उत्थान के लिए काम करना होगा। ऐप कैब चालक रवींद्र विश्वास ने इस बात पर खुशी जताई कि लंबा इंतजार खत्म हो गया और नेताजी को आखिरकार सरकार द्वारा सम्मानित किया जा रहा है। कोलकाता में नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास एक किराना व्यापारी रतन मंडल इस बात से उत्साहित थे कि उनके ‘बचपन के नायक’ को राष्ट्र द्वारा सम्मानित किया जा रहा है।

    एक सब्जी विक्रेता बबलू मंडल ने हालांकि कहा कि इस तरह के कदम केवल राजनीतिक नौटंकी हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी प्रतिमाओं को तराशने, ले जाने और स्थापित करने पर खर्च किए गए करोड़ों रुपये वास्तव में देश और यहां के लोगों के विकास पर खर्च किए जा सकते थे।