एक अस्पताल ऐसा भी... जहां होता है कलमों का इलाज; हैरान कर देगी पेन प्रेमियों की ये खबर
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में एक ऐसा अस्पताल है जहां पर कलमों का इलाज किया जाता है। यहां पर करीब 46 सालों से कलम प्रेमियों का पेन दूर किया जाता रहा है। इस दुकान पर देश-दुनिया की बेहद पुरानी विरासती व दुर्लभ कलमें ठीक कराने के लिए लोग आते हैं। इस पेन हॉस्पिटल की चर्चा देश के हर कोने में की जा रही है।

विशाल श्रेष्ठ, जागरण, कोलकाता। डाक्टर साहब, मेरे बच्चे की जान बचा लीजिए... फिल्मों में अक्सर ऐसे डायलाग सुनने को मिलते हैं, लेकिन कोलकाता में एक ऐसा 'अस्पताल' है, जहां नाजुक हालत वाली कलमों की जान बचाई जाती है।
यहां दूर-दराज से लोग देश-दुनिया की बेहद पुरानी, बेशकीमती, विरासती व दुर्लभ कलमें लेकर आते हैं और उन्हें चंगा कराकर ले जाते हैं। इनमें ज्यादातर ऐसी कलमें होती हैं, जिनके साथ उन्हें लेकर आने वालों की पुरानी यादें जुड़ी होती हैं, गहरा भावनात्मक लगाव होता है अथवा वह उनके किसी प्रियजन की आखिरी निशानी होती है। जब कहीं उनका इलाज नहीं हो पाता तो लोग आखिरी उम्मीद के साथ कोलकाता के चौरंगी रोड इलाके में स्थित 'पेन हास्पिटल' पहुंचते हैं।
1948 में हुई पेन हास्पिटल शुरुआत
76 साल पुरानी इस पेन सर्विसिंग शाप के मालिक मोहम्मद इम्तियाज ने बताया-'मेरे दादाजी मोहम्मद शमशुद्दीन ने सन् 1948 में इस दुकान की शुरुआत की थी। तब से दूर-दूर से लोग यहां अपनी खास कलमें ठीक कराने लाते हैं। किसी की निब खराब होती है तो किसी की क्लिप, किसी का पूरा बाडी पार्ट्स खराब होता है तो किसी का सारा सिस्टम बिगड़ा होता है। बहुत सी ऐसी पुरानी कलमें भी आती हैं, जिनके पार्ट्स अब बाजार में उपलब्ध नहीं हैं।
हम हरेक कलम को ठीक करने का पूरा प्रयास करते हैं। जिनके पार्ट्स उपलब्ध नहीं होते, हम उन्हें वैकल्पिक तरीकों से ठीक करते हैं। कुछ को ठीक करने में सप्ताह तो कुछ को महीने लग जाते हैं। लोग जर्मनी, इंग्लैंड, जापान, अमेरिका, इटली, आस्ट्रेलिया, फ्रांस, ताइवान, स्वीट्जरलैंड समेत विभिन्न देशों की विरासती व महंगी कलमें लेकर आते हैं। इनमें इंक पेन, बाल पेन, रोलर पेन, पेंसिल पेन, कैलीग्राफी पेन से लेकर काफी कुछ शामिल हैं। इनमें कुछ की कीमत हजारों रुपये में होती है।'
कई लोगों ने हाथ जोड़कर की मिन्नत
पिछले 46 वर्षों से कलम प्रेमियों का 'पेन' दूर करते आ रहे मोहम्मद इम्तियाज ने आगे कहा-'मेरे पास ऐसे कई लोग आए हैं, जिन्होंने हाथ जोड़कर मिन्नत की है कि किसी भी तरह मेरी कलम को ठीक कर दीजिए। कलम ठीक होने पर लोगों के चेहरे पर जो खुशी देखने को मिलती है, उसे मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता।'
मोबाइल-इंटरनेट के दौर में भी कलम के प्रति प्यार बरकरार
62 साल के हो चुके मोहम्मद इम्तियाज ने कहा-'समय के साथ कलम का स्वरूप जरूर बदला है लेकिन मोबाइल व इंटरनेट के इस दौर में भी इसके प्रति प्यार बरकरार है। मैंने शेफर, वाटरमैन, लैमी, क्रास, पायलट, पार्कर-51, पार्कर वैक्यूमेटिक समेत विभिन्न कलमों के पुराने संस्करणों को दुरुस्त किया है। हमारे पास हाई कोर्ट के जज, राजनेता से लेकर जिलाधिकारी, पुलिस अफसर, अभिनेता, डाक्टर, वकील तक अपनी खास कलमें ठीक कराने भिजवाते हैं।'
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