Kolkata: जेल कर्मी को तबादले के लिए मुख्यमंत्री सचिवालय में फोन करने पर नोटिस, विभाग को नजरंदाज करने का लगा आरोप
वीरभूम जिले की सिउड़ी जेल के हेड वार्डर काजोल मुखोपाध्याय ने पिता के अस्वस्थ होने का कारण बताकर मुख्यमंत्री सचिवालय की शिकायत निवारण निगरानी प्रणाली (जीआरएमएस) को फोन करके अपना तबादला हुगली में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया है। इसपर जेल विभाग ने काजोल को कारण बताओ नोटिस जारी करके पूछा है कि उन्होंने विभाग को सूचित किए बिना यह कदम क्यों उठाया?

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। वीरभूम जिले की सिउड़ी जेल के हेड वार्डर काजोल मुखोपाध्याय ने पिता के अस्वस्थ होने का कारण बताकर मुख्यमंत्री सचिवालय की शिकायत निवारण निगरानी प्रणाली (जीआरएमएस) को फोन करके अपना तबादला हुगली में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया है।
इसपर जेल विभाग ने काजोल को कारण बताओ नोटिस जारी करके पूछा है कि उन्होंने विभाग को सूचित किए बिना यह कदम क्यों उठाया? उन पर 'अवज्ञा' (अपने कार्यालय को नजरंदाज दूसरे कार्यालय से हस्तक्षेप की मांग करना) का आरोप लगा है।
मामले को लेकर जेल विभाग में हंगामा शुरू हो गया है। जेल विभाग के सूत्रों के मुताबिक काजोल ने गत 24 जून को मुख्यमंत्री कार्यालय में फोन किया था। बाद में काजोल का आवेदन मुख्यमंत्री कार्यालय के माध्यम से जेल विभाग को भेजा गया। इसके बाद काजोल को गत सात अगस्त को कारण बताओ नोटिस भेजा गया, जिसका उन्होंने उत्तर दिया। अभी तक उनके खिलाफ कोई विभागीय कार्रवाई नहीं की गई है।
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कारण बताओ नोटिस को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। पहला, यदि कोई सरकारी कर्मचारी मुख्यमंत्री कार्यालय में आवेदन करता है तो इसे 'अवज्ञा' क्यों कहा जाएगा? दूसरा, ऐसा कहीं उल्लेख नहीं है कि कोई सरकारी कर्मचारी मुख्यमंत्री सचिवालय में आवेदन नहीं कर सकता?
जेल विभाग के अधिकारियों के एक वर्ग का मानना है कि इस कदम से मुख्यमंत्री सचिवालय की पहल पर सवाल उठ सकते हैं। जेल विभाग के एडीजी एलएन मीणा से पूछने पर उन्होंने कहा-'मुझे मामले की जानकारी नहीं है। हालांकि नोटिस में कहा गया है कि एडीजी के कहने पर कार्रवाई की गई है।
काजोल ने अपने करीबियों को बताया कि उन्होंने वीरभूम जिला कलेक्टर कार्यालय के सामने 'जीआरएमएस' से संबंधित अधिसूचना देखने के बाद फोन किया था। वे नहीं जानते थे कि यह अवज्ञा के बराबर है। उन्होंने अपने कार्यालय में तबादले के लिए लिखित अनुरोध भी प्रस्तुत किया था। जब कार्यालय ने कोई जवाब नहीं दिया तो उन्होंने मुख्यमंत्री सचिवालय को फोन किया था।

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