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    Gangasagar Mela 2025: पुण्य धाम को अग्निरोधी बनाने में टीम के साथ जुटे 86 साल के सेन बाबू, कहा-अब आग का कोई डर नहीं

    Updated: Tue, 14 Jan 2025 04:42 PM (IST)

    गंगासागर में राज्य सरकार की ओर से तीर्थयात्रियों के ठहरने के लिए जितने भी अस्थायी शिविर बनाए गए हैं सेन बाबू की टीम उन्हें अग्निरोधी बनाए रखती है। 86 साल के स्वपन कुमार सेन अपनी 120 लोगों की टीम के साथ गंगासागर को अग्निरोधी बनाने में दिन-रात जुटे हुए हैं।रसायन वैज्ञानिक सेन ने बतायाहमने विभिन्न रासायनिक पदार्थों का इस्तेमाल कर इन्हें अग्निरोधी बना दिया है।

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    कपड़े को लाइटर से जलाने पर भी उसमें आग नहीं लगने का डेमो दिखाते स्वपन कुमार सेन।(फोटो- बिमल कर्मकार)

    विशाल श्रेष्ठ, जागरण, गंगासागर। वे उम्र के आखिरी पड़ाव में हैं, लेकिन उनमें अभी भी एक जवान जैसा जोश दिखता है। 86 साल के स्वपन कुमार सेन अपनी 120 लोगों की टीम के साथ गंगासागर को अग्निरोधी बनाने में दिन-रात जुटे हुए हैं।

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    गंगासागर में राज्य सरकार की ओर से तीर्थयात्रियों के ठहरने के लिए जितने भी अस्थायी शिविर बनाए गए हैं, सेन बाबू की टीम उन्हें अग्निरोधी बनाए रखती है।

    रसायन वैज्ञानिक सेन ने बताया- 'गंगासागर में तीर्थयात्री शिविरों के निर्माण में बांस, होगला पत्ते ( विशेष तरह का पत्ता) व कपड़े का इस्तेमाल किया जाता है। ये सभी तेजी से आग पकड़ने वाली चीजें हैं। हमने विभिन्न रासायनिक पदार्थों का इस्तेमाल कर इन्हें अग्निरोधी बना दिया है।

    यूं बनाया जाता है अग्निरोधी

    सेन ने बताया-'हम निर्माण सामग्रियों को विभिन्न रसायनों से भरे कुंड में भिंगोकर रखते हैं।उसके बाद निकाल कर सुखा लेते हैं। फिर उनमें बोरक्स समेत विभिन्न रसायनों का छिड़काव किया जाता है। इसके बाद वे ऐसे हो जाते हैं कि उनमें आसानी से आग नहीं लगती। इस बाबत गंगासागर में हमने दो विशाल जल कुंडों का निर्माण किया है। हरेक कुंड 40 फुट लंबा, 40 फुट चौड़ा और 5 फुट गहरा है।

    एक कुंड में करीब 10,000 लीटर पानी डालकर उनमें विभिन्न रसायनों को मिलाया जाता है। तीर्थयात्री शिविर बनने के बाद हमारी टीम रोजाना वहां जाकर रसायनों का छिड़काव करती है ताकि वे अग्निरोधी बन रहे।'

     रसायन वैज्ञानिक स्वपन कुमार सेन। फोटो : बिमल कर्मकार

    'जल्दी आग नहीं पकड़ेगी'

    सेन ने आगे कहा- 'गंगासागर मेला परिसर में पाबंदी के बावजूद कुछ तीर्थयात्री आग जलाकर खाना पकाते हैं और शरीर तापते हैं। ऐसे में आग लगने की आशंका बहुत अधिक है इसलिए इस तरह की व्यवस्था होनी बहुत जरूरी है। ऐसा होने पर जल्दी आग नहीं पकड़ेगी और लोगों को बचने का समय मिलेगा। भगदड़ भी नहीं बचेगी।' सेन अपनी टीम के साथ गंगासागर मेला शुरू होने से एक महीने पहले यहां पहुंचकर काम में जुट जाते हैं। उनकी टीम के कारण ही गंगासागर में अग्निशमन कर्मी राहत में रहते हैं।

    कोलकाता के एकडालिया पार्क इलाके के रहने वाले सेन बाबू 2007 से गंगासागर मेले को अग्निरोधी बनाते आ रहे हैं। कोलकाता के विभिन्न दुर्गापूजा पंडालों को भी वे अग्निरोधी बनाते आ रहे हैं। शिरडी में प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी के एक कार्यक्रम स्थल को भी उन्होंने इसी तरह अग्निरोधी बनाया था।

    यूनिवर्सिटी से केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की

    सेन ने कोलकाता की जादवपुर यूनिवर्सिटी से केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। उसके बाद उन्होंने संयुक्त राज्य जाकर केमिस्ट्री में मास्टर आफ साइंस किया है। सेन आने वाले समय में कुंभ समेत अन्य धार्मिक मेलों में भी सेवाएं प्रदान करना चाहते हैं।