होनहार छात्र और युवाओं के हीरो, फिर आज क्यों बन गए विलेन? डॉ. संदीप घोष की पूरी कहानी
कोलकाता डॉक्टर रेप-मर्डर केस के बाद आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष देशभर में चर्चा में आ गए हैं और उनकी भूमिका को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। ऐसे में यह जानना दिलचस्प है कि कभी होनहार छात्र और युवाओं के आदर्श रहने वाले संदीप घोष आज सीबीआई जांच के घेरे में आरोपों का सामना कैसे कर रहे हैं। जानिए उनकी पूरी कहानी।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। सीबीआई की पूछताछ का लगातार छह दिन से सामना कर रहे कोलकाता के आरजी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष की पहचान एक होनहार छात्र और युवाओं के आदर्श रहने से लेकर सीबीआई जांच के घेरे में आरोपों का सामना कर रहे व्यक्ति की हो गई है।
संदीप घोष ने कोलकाता से 80 किमी दूर स्थित बनगांव हाई स्कूल से स्कूली शिक्षा पूरी की। पढ़ाई के बाद डॉक्टर-प्रशासक के तौर पर उनकी तरक्की से बनगांव के युवा उन्हें अपना आदर्श मानते थे। अब एक महिला डॉक्टर से दुष्कर्म एवं हत्या का मामला सामने आने और उस क्रम में संदीप घोष पर लग रहे गंभीर आरोपों से बनगांव के लोग स्तब्ध हैं।
जहां पढ़े, वहीं बने प्रिंसिपल
घोष ने मेडिकल और इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा पास की और आरजी कर मेडिकल कॉलेज में अध्ययन किया। 1994 में एमबीबीएस किया और बाद में आर्थोपेडिक सर्जन बने। जहां पढ़े, बाद में उसी आरजी कर मेडिकल कॉलेज के 2021 में प्रिंसिपल भी बने। इससे पहले वह कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज में वाइस प्रसिडेंट रहे।
एक घटना से बदला जीवन
डॉ. संदीप घोष के जीवन में नौ अगस्त की सुबह से बड़ा बदलाव आने लगा, जब उनके कॉलेज में एक महिला डॉक्टर की लाश मिली। पहले आत्महत्या बताए जा रहे मामले के दुष्कर्म के बाद हत्या की बात सामने आने के बाद तो स्थिति और गंभीर हो गई। बंगाल ही नहीं, पूरे देश में इस पर आक्रोश होने लगा तो ममता सरकार ने आनन-फानन में डॉ. घोष से प्रिंसिपल पद से इस्तीफा लिया, लेकिन तुरंत ही उन्हें प्रतिष्ठित कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल बना दिया।
इस जल्दबाजी भरे फैसले पर कलकत्ता हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट सवाल उठा चुके हैं। महिला डॉक्टर का शव सामने आने के बाद संदीप घोष की कार्यशैली और फैसलों पर भी हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में सवाल उठे हैं। आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व उपाधीक्षक डॉ. अख्तर अली ने डॉ. घोष पर वित्तीय अनियमितताओं के साथ लावारिस शवों के सौदे जैसे अन्य गंभीर आरोप भी लगाए हैं। बंगाल सरकार ने सोमवार देर रात उनके खिलाफ पुराने मामले में एक साल बाद न केवल एफआईआर दर्ज कर ली है, बल्कि एक एसआइटी का गठन भी कर दिया है।
बंगाल पुलिस कर रही जांच
कोलकाता पुलिस ने भी डॉ. संदीप घोष को पूछताछ के लिए बुलाया है। उन पर मृतका की पहचान उजागर करने का मामला भी है। जब महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म व हत्या की बात सार्वजनिक हुई तो डॉ. संदीप घोष पर पीडि़ता पर ही दोष मढ़ने की बातें सामने आईं। इससे इन्कार करते हुए संदीप घोष ने कहा कि वह पद से इस्तीफा दे रहे हैं, क्योंकि अपमान सहन नहीं कर सकते।
हालांकि थोड़ी ही देर में उन्हें दूसरे कॉलेज में अहम पद मिल गया। बस यहीं से उनके व ममता सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन व आरोपों का दौर तेज हो गया। विपक्षी दलों ने भी कहा कि अपने प्रभार वाले मेडिकल कॉलेज में इतनी दरिंदगी वाली घटना के बाद भी कॉलेज के प्रिंसिपल को इनाम दिया गया है।
कोर्ट ने उठाए सवाल
कलकत्ता हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी यह सवाल हुआ कि अप्राकृतिक मौत का मामला क्यों दर्ज किया गया। जब मृतका उसी मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर थी तो प्रिंसिपल और अस्पताल ने आधिकारिक शिकायत क्यों नहीं दर्ज कराई? यह अति गंभीर लापरवाही है जो संदेह पैदा करती है।
अब नेशनल कॉलेज से भी हटाया
आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को स्वास्थ्य विभाग ने अब कोलकाता नेशनल मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल पद से हटा दिया है। राज्य के स्वास्थ्य सचिव नारायण स्वरूप निगम ने बुधवार रात यह घोषणा की है। माना जा रहा है कि गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में ममता सरकार की ओर से जो रिपोर्ट जमा दिया जाना है, उसके मद्देनजर यह कार्रवाई हो सकती है।
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