कोलकाता: सौतेली मां की करतूत, पैसों के लिए खुद के घर में करवाई रेड; CISF के पांच जवान समेत 8 गिरफ्तार
कोलकाता में फर्जी छापेमारी करने और नकदी व आभूषण लूटने के आरोप में आठ लोगों को गिरफ्तार किया है। इन आरोपियों में पांच सीआईएसएफ कर्मी भी शामिल हैं। गिरफ ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। कोलकाता के विधाननगर कमिश्नरेट की पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई में आयकर विभाग के अधिकारी बनकर इस महीने के मध्य में एक दिवंगत रियल एस्टेट प्रमोटर के घर पर तलाशी के नाम पर लूटपाट करने के आरोप में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) के पांच कर्मियों समेत कुल आठ लोगों को गिरफ्तार किया है।
अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि गिरफ्तार सीआइएसएफ कर्मियों में एक इंस्पेक्टर, एक हेड कांस्टेबल और तीन कांस्टेबल शामिल हैं। इसमें एक महिला कांस्टेबल भी है। सीआइएसएफ इंस्पेक्टर की पहचान अमित कुमार सिंह के रूप में हुई है, जो फिलहाल मुर्शिदाबाद जिले के फरक्का बैराज में तैनात है।
क्या था पूरा मामला?
फरक्का से ही उसकी गिरफ्तारी हुई। इस सिलसिले में गिरफ्तार किए गए अन्य सीआइएसएफ कर्मियों में हेड कांस्टेबल रामू स्वरोज, कांस्टेबल बिमल थापा, कांस्टेबल जनार्दन शा और कांस्टेबल लक्ष्मी कुमारी शामिल हैं। ये सभी कोलकाता में तैनात थे।
जिस वाहन से फर्जी आयकर अधिकारी बनकर ये लोग मृतक प्रमोटर विनोद कुमार सिंह के घर डकैती करने पहुंचे थे, उसके चालक दीपक राणा और उसके एक साथी को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार लोगों में मृतक प्रमोटर की दूसरी पत्नी आरती सिंह भी शामिल है, जो असली मास्टरमाइंड बताई जा रही है। घटना 17-18 मार्च की दरमियानी रात की है। पुलिस के अनुसार, सभी आरोपितों को दो-तीन दिनों के भीतर बंगाल के विभिन्न स्थानों से गिरफ्तार किया गया।
30 लाख रुपये नकद और सोना लेकर फरार
विधाननगर पुलिस कमिश्नरेट की उपायुक्त (एयरपोर्ट डिवीजन) ऐश्वर्या सागर, आइपीएस ने बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन में घटना की जानकारी देते हुए बताया कि 18 मार्च को मृतक प्रमोटर की बेटी विनीता सिंह ने कोलकाता के बागुईआटी थाने में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें बताया था कि आयकर अधिकारी बनकर कुछ लोग रात करीब दो बजे उनके घर पहुंचे और तलाशी अभियान शुरू किया। शिकायत में दावा किया गया था कि कथित तलाशी अभियान के अंत में वे करीब 30 लाख रुपये नकद और एक करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के सोने के आभूषण लेकर चले गए।
बेटी से करवाए हस्ताक्षर
घर से निकलते समय उन्होंने मृतक प्रमोटर की बेटी से कुछ सादे कागज पर हस्ताक्षर भी करवा लिए और कहा कि उनसे बाद में संपर्क किया जाएगा। साथ ही उन लोगों ने घटना के बारे में किसी को नहीं बताने की धमकी भी दी।
बेटी को शक होने पर की थी शिकायत
बेटी को शक होने पर अगले दिन उन्होंने आयकर कार्यालय से संपर्क किया तो बताया गया कि उस दिन उस इलाके में कोई रेड नहीं पड़ी है। फिर पुलिस में उन्होंने शिकायत दर्ज कराई। विधाननगर कमिश्नरेट की पुलिस ने मामले की जांच शुरू की। पुलिस अधिकारी के अनुसार, यह स्पष्ट रूप से निश्चित था कि जो लोग आए थे, वे धोखेबाज थे, क्योंकि आयकर अधिकारी हमेशा स्थानीय थाने को सूचित करके और पुलिस कर्मियों को एस्कार्ट के रूप में लेकर छापेमारी करते हैं। इसके बाद कोलकाता पुलिस ने घर के आसपास के इलाकों में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की भी जांच कर मामले की जांच शुरू की।
जांच अधिकारियों ने सबसे पहले ड्राइवर दीपक राणा को गिरफ्तार किया। पूछताछ के दौरान उसने लूटपाट में शामिल लोगों के नाम बताए और उसके बाद उसके सहयोगी और इंस्पेक्टर समेत पांच सीआइएसएफ कर्मियों को गिरफ्तार कर लिया गया।
सौतेली मां ही असली मास्टरमाइंड
जांच अधिकारियों को संदेह है कि विनीता सिंह की सौतेली मां आरती सिंह ही असली मास्टरमाइंड है। संपत्ति हड़पने के लिए उसने लूटपाट का नाटक कराया। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि आरती का सीआइएसएफ के एक कर्मी से संपर्क था और फिर उसके जरिए इस घटना को अंजाम दिया गया। पुलिस जांच में जुटी है।
सीआइएसएफ की साख पर बट्टा
इधर, लूटपाट के आरोप में इंस्पेक्टर समेत पांच कर्मियों की गिरफ्तारी से सीआइएसएफ के भीतर हड़कंप मच गया है। घटना से केंद्रीय बल के साख पर भी बट्टा लगा है। बल के कुछ कर्मी इस तरह के अवैध कार्य में शामिल थे और वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर सीआइएसएफ की आंतरिक खुफिया टीम को इसकी भनक तक नहीं थी, यह बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।